मां
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अजब लीला करन को गजब रूप है धार,
दुष्टों के प्राण हरन को बनी माता जगत सहार।
पाप बढ़त रहा है जब- जब सृष्टि में अपार,
उद्धार करत गयीं है देवी पापियों के प्राण निकार।।
अखंड सदा ज्योत जली है सृष्टि संतान बन पली है,
सरल ,सौम्य ,रौद्र रूप धारी है राक्षसों की बलि लई है।
त्रिशूल -चक्र -कृपाण -कटारी मां की शोभा है न्यारी,
तेज रवि- सा है झलकता ,महामाया बड़ी ममतामयी है।।
सरस्वती -काली -लक्ष्मी त्रिगुण रूप में त्रिपुरसुंदरी है,
ऊंची है शान मां भवानी की शेर की धरी सवारी है।
करुणा, धैर्य और ध्यान धारे ,दुखियों का जीवन संवारे,
माथे मुकुट कानों में कुंडल धारी है ,भक्तन की कष्ट हारी है।।
मां पर्वतवासिनी तुम्हारी महिमा अपरंपारी है,
सोलह श्रृंगार करती मां शक्ति खप्पड़धारी है।
जब से तेरी पावन ज्योत जागी मेरे जीवन में,
जीवन दायिनी तुझे पाकर 'पारूल' बहुत उपकारी है।।
- ✍️मेरे जज़्बात
पारुल मेहरा
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