Parul Aggrawal  
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Joined 29 August 2020


Joined 29 August 2020
15 DEC 2024 AT 17:17

मुझे अपनी कोक में छुपा लो ना माँ

तू तो कहती थी कि घर में लक्ष्मी आई है
पर यहाँ सबको बोझ सी क्यूँ लगती हूँ मैं माँ ।

उँगली पकड़कर चलना सिखाया था ना तूने
अब सब हाथ छुड़ाकर क्यूँ भाग रहे है मुझसे माँ ।

गलती करने पर एहसास करना तूने ही सिखाया था ना
फिर हर अच्छाई भी दिखावा क्यूँ लगती है मेरी माँ ।

याद है तुझे मैं अँधेरे में तेरे पीछे छुप जाती थी
इन लोगों ने मुझे अंधेरे में रहना क्यूँ सीखा दिया माँ

मुझसे अब यह सब सहा नहीं जाता है माँ
तू फिर से मुझे अपनी कोक में छुपा ले ना माँ

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10 AUG 2024 AT 10:57

खुद ही खुद से ख़फ़ा चल रहीं हूँ
किसी और को कैसे मनाऊँ?

छोटी छोटी बातों को दिल से लगाने लगी हूँ
किसी और के चेहरे पर ख़ुशी कैसे लाऊँ?

क्या करूँ,कैसे करूँ इन सब से झूझ रहीं हूँ
किसी और के सपने को अपना कैसे बनाऊँ?

आजकल ज़िंदगी जीने में मौत आ रही है
किसी और के जीवन को खुशहाल कैसे करूँ?

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5 JUN 2024 AT 15:03

कुछ ख़वाइशों को ख़ुद पूरा कर
किसी और की ना सुन बस अपनी कर।।

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1 JUN 2024 AT 12:31

कुछ ख़्वाबो को आँखो में छुपा लिया,
सही वक़्त पर पूरा करने के लिए ।

कुछ लफ़्जो को शांत कर लिया,
रिश्ते की गरिमा को बनाए रखने के लिए ।

कुछ संबंधों को महफ़ूस रख लिया,
उनकी मर्यादा को बरक़रार रखने के लिए ।

कुछ झख्मों को भुला दिया,
ज़िंदगी को आसान बनाने के लिए ।।

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23 MAY 2024 AT 11:51

दुनिया कहती है “जो जैसा है उसके साथ वैसे ही रहो”
लेकिन जो दुःख हमने महसूस किया है
क्या वो दुख देकर सामने वाले को हुबहू दर्द महसूस होगा?

इसी बात पर अर्ज़ किया है कि
तुझे जो करना है, कहना है, कह दे क्यूंकि
अगर अपना समझते होंगे तो बिना कहे ही समझ जाएँगे,
वरना ग़ैर तो ख़ंजर घोंपकर
मिश्री से भी मीठे बोल घोलते चले जाएँगे।

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3 APR 2024 AT 16:56

ज़िंदगी में कितना भी आगे क्यूँ ना बढ़ लो
बिता हुआ कल का दुःख
आज की खुशियों में दस्तक देगा ही देगा !!

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12 NOV 2023 AT 13:59

कुछ लम्हों को यादें बनाना ज़रूरी है
खुद को ज़िंदा रखने के लिए।।

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16 OCT 2023 AT 16:39

कभी कभी कुछ ख्वाबों का टूट जाना भी जरूरी है
हकीकत से रूबरू होने के लिए

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13 OCT 2023 AT 20:26

सबकी उम्मीदों पर खरा उतर कर
अपनी ख्वाइशों को दबाने लगी हूं
अब मैं खुद ही खुद को समझाने लगी हूं।

सबकी खुशियों को ज़िंदा रखकर
अपनी ही मुस्कान भूलती जा रही हूं
अब मैं खुद ही खुद को समझाने लगी हूं ।

सबको अपना बनाकर
खुद के अस्तित्व से दूर भागती जा रही हूं
अब मैं खुद ही खुद को समझाने लगी हूं ।

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8 OCT 2023 AT 15:41

नाराजगी से कहां कभी प्यार कम होता है
अगर होता भी है तो फिर कहां वो प्यार होता है
खाते तो सभी है कसम साथ निभाने की,जीने मरने की
वरना हर कोई कहां हीर रांझा जैसे निभाने वाला होता है।

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