मैं आदत नहीं तेरा इन्तजार बनूँ
मैं मजबूरी नहीं तेरा करार बनूँ
निकल पड़े तू मुझे ढूँढने घर से
यूँ खो जाऊँ तेरा खोया प्यार बनूँ-
मौन है और
शांत है सब
क्यूँ धरा फिर
चल रही है
रात में जग
सो रहा फिर
क्यूँ कज़ा ये
मचल रही है-
मुझे मौत के गलियारों से
ना खींच कर लाना
मैं जिंदा हूँ यहाँ!
जीउँगी... और
जीती रहूँगी-
मैंने खूब लिख लिया है, इश्क़ लफ्जों में,
लफ्ज़ खामोशी से मुझमें, अब इश्क़ लिखते हैं।-
हजारों दर्द भी ना मारने पाये मुझको
एक फरिश्ता हर मर्ज की दवा रखता है
यूं कोई आवाज ना आयी कानों मे
उसका अहसास मुझे पुकारे रखता है
हर नाउम्मीद पे हुसक उठती हूँ
चेहरा उसका मुझे हँसाये रखता है
सर्द रातों में बदन ठिठुरता मेरा
अपनी गर्माहट मे सुलाये रखता है
सीने में लगी आग ना दहके कभी
अपनी मुस्कुराहट से बुझाये रखता है
हर मंजर पे दिल दहलता है 'पारुल'
कोई है जो इसे सम्भाले रखता है
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मेरे बाद तुम्हारे सीने में, एक ज्योत सी जलेगी।
रखोगे जब दिल पर हाथ, मुझे जिंदगी मिलेगी।-
जाने कब मन्त्रोच्चारंण होगा, धारा में राख बहेगी,
जीवन अग्नि में जल कर, क्या राख भी नहीं रहेगी?-