मेरे आँखों के आँसू जब कभी भी खटखटाएंगे
उन्हें रोकने को काजल का पहरा हम लगायेंगे
कोई बात ना निकले, मेरे मुँह से कभी गम की
तेरी डीपी में चेहरा देखकर हम मुस्कुरायेंगे
कभी जब रात में चंदा अकेले देखकर रोया,
तेरी गज़लों की लोरी गाकर हम उसको सुलायेंगे
सुबह की धूप भी ढूंढेगी तेरे अक्स को मुझपर
तेरे वादों के झूठे ख्वाब हम बुनकर दिखाएँगे
कहीं फीकी लगे फिर भी मेरे चेहरे पे जो रौनक
हम अपनी माँग में भरकर सितारे जगमगाएँगे
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