कितना कुछ भरा हुआ है अंदर वो किसी को बयाँ नहीं क़र पाती
शायद वो किसी का अहसान या सहानभूति लेना नहीं चाहती !
अगर गलती से गिर जाये दो अश्रु आँखों से
तो कऱ देती है बहाना
ये दिल्ली की सर्दी मुझे रास नहीं आती!-
Delhi
मैं लिखती हूँ अपने लिए अपनी ही बातों को
ताकि जान सकु सालो बाद अपने ही जज्बातो को।