तेरे होने का कुछ ऐसा असर हुआ,के जिस मोहब्बत की नतीजों ने तानाशाही बनायाउसी मोहब्बत के सहारे जीना सीख़ रहे हैं -
तेरे होने का कुछ ऐसा असर हुआ,के जिस मोहब्बत की नतीजों ने तानाशाही बनायाउसी मोहब्बत के सहारे जीना सीख़ रहे हैं
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पहले तो जाहिल बनना सिखायाऔर अब जब जाहिल हम बन गए....तो नियत पे सवाल उठा रहे हो...!!वाह!! रे दुनिया -
पहले तो जाहिल बनना सिखायाऔर अब जब जाहिल हम बन गए....तो नियत पे सवाल उठा रहे हो...!!वाह!! रे दुनिया
लोग तब खतरा महसूस नहीं करेंगे जब आप कीचड़ में गिरे- पड़े रहेंगे.....लोग तब खतरा महसूस करेंगे जब आप कीचड़ को साफ़ करना शुरू करेंगे | -
लोग तब खतरा महसूस नहीं करेंगे जब आप कीचड़ में गिरे- पड़े रहेंगे.....लोग तब खतरा महसूस करेंगे जब आप कीचड़ को साफ़ करना शुरू करेंगे |
इन लम्हों की पानाहो से पहले ...बोहोत गवाया भी है हमने,अब अग़र कुछ गवाना पड़े,तो इक़तला करना ज़रूर.... ए ज़िन्दगी -
इन लम्हों की पानाहो से पहले ...बोहोत गवाया भी है हमने,अब अग़र कुछ गवाना पड़े,तो इक़तला करना ज़रूर.... ए ज़िन्दगी
वो तो दिल है के हर बार हमें शांत किये देती हैवरना ज़माने ने तो बस इंतेक़ाम जताना सिखाया -
वो तो दिल है के हर बार हमें शांत किये देती हैवरना ज़माने ने तो बस इंतेक़ाम जताना सिखाया
इश्क़ में एक औरत का इम्तेहान तब होता है जब एक मर्द के पास कुछ नहीं होता.....और एक मर्द का इम्तेहान तब होता है, जब उसके पास सब कुछ होता है -
इश्क़ में एक औरत का इम्तेहान तब होता है जब एक मर्द के पास कुछ नहीं होता.....और एक मर्द का इम्तेहान तब होता है, जब उसके पास सब कुछ होता है
बेपनाह मोहब्बतों ने इस क़दर मशरूफ़ किया इन शामों को...के ढलते सूरज को देखने के किस्से अब याद नहीं हमें -
बेपनाह मोहब्बतों ने इस क़दर मशरूफ़ किया इन शामों को...के ढलते सूरज को देखने के किस्से अब याद नहीं हमें
ज़माना तो बस ताकने की फिराक़ लिए थाहम चुपके चुपके तुम परहर दफ़ा मरते रहें -
ज़माना तो बस ताकने की फिराक़ लिए थाहम चुपके चुपके तुम परहर दफ़ा मरते रहें
ना जाने शायरों को क्या हुआ....लफ्ज़ो के मोहताज बनते गए और ज़ाहिरगी को भूलते गए -
ना जाने शायरों को क्या हुआ....लफ्ज़ो के मोहताज बनते गए और ज़ाहिरगी को भूलते गए
यूँ तो कभी तड़प कर नहीं देख़ा किसी की चाहत में,मग़र ये जो इंतज़ार हर बार तेरा पता बता जाती है,क़म्बख्त आदत बदल डाली इसने | -
यूँ तो कभी तड़प कर नहीं देख़ा किसी की चाहत में,मग़र ये जो इंतज़ार हर बार तेरा पता बता जाती है,क़म्बख्त आदत बदल डाली इसने |