21 APR 2020 AT 11:08

दर्द - ए - दिल अपना सुना कर मुझे क्या लेना है,
उनको एहसास दिला कर,मुझे क्या लेना है।

एह तमा - मात की खातिर किए है मैने,
वरना बज़्म अपनी सजा कर,मुझे क्या लेना है।

आपके नक्शे कदम हो तो,कोई बात भी है।
हर जगह सिर को झुका कर,मुझे क्या लेना है।

आप - ही -अपना मैं कातिल हूं,कहूंगा सर - ए - हश्र।
नाम उनका बता कर,मुझे क्या लेना है।

ज़र्रे - ज़र्रे मैं नजर आता है,जलवा उनका।
फिर भला तूर पे जाकर,मुझे क्या लेना है।

जनता हूं मेरी किस्मत में अंधेरा है शहिद।
शम्मा कि - लौ - को बढ़ा कर,मुझे क्या लेना है।

दर्द - ए - दिल अपना सुना कर मुझे क्या लेना है,
उनको एहसास दिला कर,मुझे क्या लेना है।

- ♠पार्थ_निराला♠