parth sharma   (♠पार्थ_निराला♠)
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The monster's running wild inside of me.
Joined 15 December 2019


The monster's running wild inside of me.
Joined 15 December 2019
21 FEB 2022 AT 23:26

पहुंचना तो था मुझे तेरे घर के द्वार पर, विलम्ब किए बिना।
स्वपन शेष था मेरा, पथ पर तेरे बिना।
पहर,चार पहर,माह और दिवस बीत गए।
बदलती ऋतु संग जैसे आयुचक्र घूम रहा हो,
घूम रहा हो ब्रम्हाण,
रुके तो बस मैं और तुम सिर्फ कुछ क्षण साथ चलने के लिए।

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5 JAN 2022 AT 23:35

धक धक सुनते हो,
ये शोर तुम्हारे भीतर का है।
तुम अभी जिंदा हो।
सुन सको तो अबकी सुन लेना,
हो सके तो अनेक पथ चुन लेना,
करना वही जिससे अपने जमीर से जिंदा रह सको।
तुम निर्दोष थे,ये सब से कह सको।
अगर फिर भी तुम्हे यही अच्छा लगता है।
तो कर लेना तुम अपने मन की,
मगर शाम हमेशा होती है, हर दिन की
भ्रम का दीप लिए फिर भटक मत जाना तुम।
रात होने से पहले अपने घर चले आना तुम।।

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4 JAN 2022 AT 1:00

रेत अबकी फिसल जाए मुट्ठी से,
अजी मजाक थोड़ी है।

जागते हुए कई चौकीदार है यहां,
बरसो से सो रहा निजी परिवार थोड़ी है।

हर बगीचे में फूल खिला है चौकीदार डंडा लिए खड़ा है,
तुम जाओ और तोड़ लो ये आपका हाथ थोड़ी है।

ये मेरा मत है, मैं स्वयं चुनूंगा. ये मेरा अधिकार है।
मैं जनता हूं ये देश मेरा है, ये किसी के बाप दादा की जागीर थोड़ी है।

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9 OCT 2021 AT 23:07

कितने वर्षों से,
ये मौन अधर रखा है।

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29 OCT 2020 AT 16:11

मेरी जिंदगी में मेरी आश हो तुम.
ये दुनिया नहीं है मेरे पास तो क्या....
मेरा ये भरम था,मेरे पास तुम हो।
मगर तुमसे सीखा...
मोहब्ब्त भी हो तो।
दगा दीजिएगा।
मुकर जाइएगा।

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13 SEP 2020 AT 22:03

व्यक्ति कर्म से महान बनता है,
धर्म से नहीं।

संघर्ष और आदर्श
पुरुषत्व का निर्माण करते है।

सत्य और सद्गुण ही आपके कर्म का रूप लेते है

सत्कर्म से धर्म का निर्माण,
धर्म उस परमेश्वर की हृदय में वास करता है।

धर्मो रक्षे रक्षिथः।
अर्थात - जब आप धर्म कि रक्षा करोगे,
तभी धर्म आपकी रक्षा करेगा।।

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15 AUG 2020 AT 10:06

स्वतंत्रता मिली तो सही
मगर अर्थ आज भी नहीं समझ सके
जमीन गुलाम थी, देशवासियों के दिल की जमीन में आजादी थी।
मगर आज जमीन तो आजाद है
मगर लोगो के मानसिकता गुलाम है।
लोग अपनी भाषा बोलने से शर्माते है।
अपने राष्ट्रीय पोशाक से शर्माते है।
जमीनी तौर से गुलाम ना सही,मगर
आज भी हम गुलाम ही है।

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13 AUG 2020 AT 21:00

कोई अर्थ समझा सकता है,
प्रेम और मोह का।

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10 JUL 2020 AT 10:27

समुद्र,
शांत स्वभाव वाला।
नदियां,
चंचल वाली।
मरुस्थल,
शीतल स्वभाव वाला।
वनस्पति,
जेठ माह वाली।
जीवन,
संघर्षों वाला।
दुख,
जीवनकाल वाला।
खुशी,
दो पहर वाली।
नियम,
तोड़ने वाले।
रिश्ते,
जोड़ने वाले।
और प्रेम,
मोक्ष वाला।
सभी को मैने एक श्रण में महसूस किया है।

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7 JUN 2020 AT 22:44

मुझसे मिलने से पहले तुम भी उन्हीं में से एक थे।
मुझसे मिले तब उनमें से एक हुए।
और छोड़ के गए तो उन्ही में एक हो गए।

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