Parth Nagar   (पार्थ)
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Joined 3 December 2017


Joined 3 December 2017
24 DEC 2021 AT 19:19

चाह नही मैं सुरबाला के गहनों में गुथा जाऊ,
चाह नही प्रेमी माला में बिंध प्यारी को ललचाउ,
चाह नही सम्राटो के सर पर, हे हरि, डाला जाऊ।
चाह नही देवो के सिर पर चढू, भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे तोड़ लेना वनमाली ।।।।
उस पथ पर देना तुम फेंक ,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
जिस पथ पर जावे वीर अनेक !!!

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27 APR 2021 AT 12:52

कभी पैसो की हवा थी,
आज हवा के पैसे है !!

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10 APR 2021 AT 22:14

|| रश्मिरथी ||
समस्या शील की सचमुच गहन है, समझ पाता कुछ नही क्लांत मन है।।
न ही निश्चिंत कुछ अवधानता है, उसे तीजता है उसी को मानता है।।
मगर जो हो मनुष्य सुवरिष्ठ था वह, धनुर्धर ही नही धर्मनिष्ठ था वह।।
तपस्वी, सत्यवादी था, व्रती था , बड़ा भ्रमन्य था, मन से यति था !!
हृदय निष्कपट पावन क्रिया का,दलित तारक, समुद्धारक त्रिया का।।
बड़ा बेजोड़ दानी था, सदय था, युधिष्ठिर, कर्ण का अद्भुत हृदय था।।
किया किसका नही कल्याण उसने ? दीये न क्या क्या छिपकर दान उसने ?
जगत के हेतु ही सर्वस्व होकर, मरा वह आज रण में निःस्व होकर।।
उगी थी ज्योति जग को तारने को, न जन्मा था पुरुष वो हारने को।।
मगर सबकुछ लूटा दान के हित, सुयश के हेतु, नर कल्याण के हित।।
दया कर शत्रु को भी त्राण देकर, खुशी से मित्रता पर प्राण देकर।।
गया है कर्ण भू को दिन करके, मनुज कुल को बहुत बलहीन करके।।

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9 APR 2021 AT 11:25

होइहि सोइ राम रची राखा,
क्यों करि तरक बढ़ावे साखा !

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20 MAR 2021 AT 19:51

बैठे बैठे अक्सर यूँ ही सोचता हूं
निकला तो था में घर से अपने,
पर क्या में कहीं पहुँचा हूँ ?
हर रात हर नींद दे गई सपने कईं,
पर सोया रहा हूँ में बस इसी सोच में....
के क्या सही और क्या नही ?
क्यों ना एक राह पर, सही गलत से परे, यूंही हम निकल चले...
पर राह में बिछड़ते गए साथी तो, पीछे मुड़कर क्यों देखने लगे ?
मिलना-बिछड़ना हसना-रोना यही तो रास्ते के पैमाने है,
जो न होता ये तो कैसे जानते मोड़ अभी और भी आने है !
बस अब युं ही चलते जाना है,
छुट गया कोई तो बस मुस्कराना...
और पकड़े हाथ जो उसके संग दौड़ लगाना है।
निकले है तो अब बस चलते रहे....
सोचा था जो वो पाकर ही अब बस वापस आना है !!!

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26 MAR 2020 AT 8:05

गुज़र जाएंगे ये 21 दिन,
बिता हो कोई पल जैसे, बस ऐसे ही गुज़र जाएंगे 21 दिन ।

याद है जब घर जाने को तरसा करते थे,
मन्नतो के बाद जब मिलती थी छुट्टी हफ्ते भर की,
तब अपने boss को भी कौसा करते थे,
घर पे रहने को मिल गयी छुट्टी मांगे बिन,
यूँ ही गुज़र जाएंगे ये 21 दिन ।।

याद है जब माँ के हाथ का खाना याद आया करता था,
Swiggy Zomato से चाहे जो भी मंगवाते थे,
पर चूल्हे की रोटी का स्वाद न भुलाया जाता था,
लो मिल गयी वही रोटी अब हर दिन,
यूँ ही गुज़र जाएंगे ये 21 दिन ।।

और याद है.....
जब देश के लिए कुछ करने का भी खयाल आया था,
वही मौका तो अभी आया है,
ये जंग लड़ना और बारूद और बंदूक के बिन,
घर मे और सिर्फ घर मे ही रहना है 21 दिन ।।

।। जय हिंद ।।

🖋️पार्थ


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2 JAN 2020 AT 21:59

Tujhe shauq gham chhupane ka,
Main mahir andaza lagane me.

Teri aadat rooth jaane ki,
Main hichkichata hu manane me.

Roothna jayaz bhi ho shayad,
Kya burai hai wajah batane me.

Main dil ka kamzor bada,
Der lagti hai pata lagane me.

Achha lagta hai sath tere.
Bas dar lagta hai haq jatane me.

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27 DEC 2019 AT 11:25

एक साल और बीत गया, कितनी कहानिया लिख गया
बातें मुझे कई सिखला गया, राज़ कितने बता गया ।

हँसने मुस्कुराने के कितने इसमे किस्से है,
छलके जब आंसू आंखों से ऐसे भी इसमें हिस्से है ।
"हमेशा" की दोस्ती के लिए हुए वादों को,
पल भर में झुठला गया, एक साल और चला गया।

सुबह शाम हुआ करते थे जो नाम ज़बान पर,
वो नाम, बस नाम बनकर रह गए,
और कितने लड़ाई झगड़ो को,
सूंदर सी दोस्ती बना गया।

बस ऐसी ही कहानी है कुछ इस साल की,
सपने कई टूट गए, नए सपने कई सजा लिए
लोग कई छूट गए, लोग "नए" फिर कई मिल गए
कहते है मुझे दोस्त वो अपना,
और रिश्तों के इस भंवर में फिर हम उलझ गए

दिन यूँ ही बीत गए, नए कल की उम्मीद भी दे गए
मेहनत करे और, ये वजह भी दे गया
खत्म हुआ ये किस्सा यही, ये साल चला गया
एक साल और......बस यूं ही चला गया ।।

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28 OCT 2019 AT 17:59

करते ही रह गए याद उन गलियारों को,
दरवाज़ों के उन वन्दनवरो को,
उन महकते पकवानों को,
माँ के दुलारो को,
घर के उस आंगन को,
करते ही रह गए याद...
उन सजी हुई दीवारों को,
रोशनी के रंग बिरंगे आकारो को,
रंगोली से सजे चौबारों को ।

हो चले है बड़े शायद इसलिए घर से दूर रहना शायद वाजिब है,
काम और छुट्टियों का बहाना देकर त्योहार छोड़ना भी शायद वाजिब है।
पर इस बड़े व्यक्ति में छिपे बच्चे को ये कहाँ समझ आता है,
उसे तो त्योहार पर आज भी घर याद आता है ।

कुछ देर यारो के शोर ने दोस्तो की बातों ने भले ही ध्यान भटकाया हो,
हँसी ठिठोली में शायद कुछ देर याद न आया हो।
पर भूलकर भी ये भूल पाए ना ,
खुशी है नही भी पता लगा पाए ना,
आखिर घर तो नही जा पाए ना ।।।।

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13 SEP 2019 AT 23:00

She's got a smile it seems to me
Reminds me of childhood memories
Where everything
Was as fresh as the bright blue sky
Now and then when I see her face
She takes me away to that special place
And if I'd stare too long
I'd probably break down and cry

Oh, oh, oh
Sweet child o' mine

She's got eyes of the bluest skies
As if they thought of rain
I hate to look into those eyes
And see an ounce of pain
Her hair reminds me of a warm safe place
Where as a child I'd hide
And pray for the thunder
And the rain
To quietly pass me by

Oh, oh, oh
Sweet child o' mine

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