किसी पे क्या जोर साहिबा,
जब अपन ही नहीं नसीब किसी काबिल।
सूरत से सांवले,
जुबान से हकलै (। हकलाहट)
जेब से फकिर।
हाथों में है नहीं इश्क की लकिर।
वो लिखीं हैं किसी और की माथे की तकदीर।
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अभी मरा नहीं। जिन्दा हूँ मैं 8146466123
शहीद भगत सिंह जी
फोटो लगाने से यह मोबाइल पर स्टोरी लगने से कुछ हासिल नहीं होगा।
जब तक उस महान योद्धा के विचारों को अपने जीवन में नहीं अपना लेते।
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उनकी आंखो👀 में अकेलापन😔 आज भी मौजूद हैं
भले ही लाख छुपा लो मुझसे,
पर तेरे चेहरे की मुस्कुराहट आज बनावटी - सी लगती है। 😔
Rk💔S
Love and respect ❤— % &-
उसे बोला मुझे छोड़ दो।
कमबख्त हमनें उसे और उसके शहर को हो छोड़ दिया। — % &-
किसी ग़रीब की मजबूरी का न फायदा उठा।
कंबख्त ये गरीबी बहुत कुछ करातीं है।
दो वक्त की रोटी के लिए।
तपती धूप में कमर तोड मज़दूरी।
गन्दगी को ठेर को सर पर उठवाती है।
कंबख्त गरीबी खाली पेट भी सुलाती है।
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बाप से बड़ा कोई शक्श नहीं।
मां से बड़ा कोई योद्धा नहीं।
बड़े भाई जिसा कोई होंसला नहीं।
बहन जेसा कोई और पवित्र रिश्ता नहीं।
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यादों के सिवाये अब कुछ भी नहीं।
बस एक तस्वीर है जो बटूऐ मे संभाली पड़ी है।-
तोड़ के दिल जो जख्म दिया है तुने,
जाते जाते महलम तो दे जाना,
कुछ दर्द तो कम हो जायेगा।-