Paritosh Choudhary   (Paritosh © ( स्वतंत्र विचारक ))
108 Followers · 147 Following

read more
Joined 12 October 2018


read more
Joined 12 October 2018
22 MAR 2024 AT 11:45

मैं कौन हूं,मैं कौन हूं ?
मैं जिंदगी की जंग हूं,
मैं वक्त का कोई रंग हूं |


मैं सफर हूं जीत का,
मैं हार का भय हूं |
मैं रास्ता, मैं राहगीर,
मैं प्रेम बांटता , हूं फ़क़ीर |

बेड़ियों को तोड़ता,
हवा का रुख मैं मोड़ता ,
कदम मिलाकर चल रहा हूं ,
कारवां को जोड़ता |


मैं हवा को चीर कर ,
स्वयं लक्ष्य तक जाऊंगा |
मैं स्वयंवर का धनुष नहीं‌ ,
मैं युद्ध की कृपाल हूं ,
मैं विजय की थाल हूं |

-


14 SEP 2020 AT 19:26

आजादी की ज्वाला बनकर
जो जन-जन में दहकी थी
जिसकी शक्ति से
अंग्रेजी भी बहकी थी

आजादी के नारे गढ़े गए
जो बड़े जोश से पढ़े गए
वह हिंदी ही थी जिसने
सोए राष्ट्र को जगा दिया

और अंग्रेजों को
देश से मेरे भगा दिया
वह देश प्रेमियों की भाषा
भी तो मेरी हिंदी थी

हिंदी पढ़ना हिंदी गढ़ना
हिंदी से अब जुड़ना है
लाज बचाने की खातिर
हिंदी कि अब लड़ना है

-


14 AUG 2019 AT 0:45

माना की कमियाँ बहुत हैं मुझमें
पर तू भी कह दे कि तुझमें कोई कमी नहीं है...

-


31 JUL 2019 AT 10:48

समंदर सा दिल लिए सलीके से बात करता है,
मेरे गुस्से पर भी वो खुशी से बात करता है |

-


27 JUN 2019 AT 10:00

यूँ चला करो साथ हमारे कि दुश्मन भी डर कर रहें,
हम रहें साथ हमेशा और दुआओं के हाथ सर पर रहें..।

-


27 JUN 2019 AT 9:49

समंदर में ढूंढने की जरूरत नहीं होती..
कुछ मोतियों से कुदरत नवाजता है आपको...|

-


17 MAY 2019 AT 21:19

तूफानों को देख कर जो,
दरवाजा बंद कर लेते हैं |

हम वो नहीं जो बारिशों में,
छाता लेकर के चलते हैं |

वीर शिवा के वंशज है हम,
लौह पुरुष की ताकत हैं |

वो किरदार बनेंगे हम जो,
इतिहास के पन्ने लिख लेते हैं |

-


17 MAY 2019 AT 21:01

माफ कर देना चाहता हूँ
हर गलती को तुम्हारी
पर सवाल परवरिश पर उठेंगे
इसलिए डांट दिया करता हूँ |

-


27 MAR 2019 AT 9:34

जिद है जीतने की तो हार का क्या डर,
चाहे कितना भी लंबा रहे ये सफ़र ।

हौसला बदलेगा हालात एक दिन,
हम भी शिखर पर पहुँचेंगे एक दिन ।

वक्त लगेगा जरूर पर नजरिया बदलेगा,
आवाम भी सुनेगी हमारी आवाज एक दिन ।

भविष्य की नीव के पत्थर बनेंगे हम इसी उम्मीद पर,
किसान भी सम्मान से जिएगा एक दिन ।

-


23 MAR 2019 AT 22:14

रंग तो सभी को सभी के नज़र आते हैं
ना उनके नज़र आते हैं ना हमारे नज़र आते हैं
वो तो खेलते हैं लाल रंग की होली सरहद पर
और हम हरा रंग बोते नजर आते हैं
किसानों और जवानों के रंग भला नज़र आते हैं किसी को
लोग देखते हैं और देखकर गुजर जाते हैं
हम तो दोनों की हालत देखकर सिहर जाते है
सिर्फ जिस्म पर रंग लगाना होली हो नहीं सकती
वसुधा को रंगने वाले निखर जाते हैं
दोनों ही देश धरा की सेवा में बेफिकर जाते हैं
जिनको देखकर चांद और सूरज भी ठहर जाते हैं
जो हों अलग वही सितारे तो आसमां में जगमगाते हैं ।

-


Fetching Paritosh Choudhary Quotes