Parineeta Shree   (Parineeta)
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Love is a silken tie wich binds heart to heart
Joined 13 September 2018


Love is a silken tie wich binds heart to heart
Joined 13 September 2018
16 APR AT 13:59

मुश्किल है अपना मेल प्रिय ये प्यार नहीं है खेल प्रिय
तुम नौकर सरकारी दफ़्तर के
मैं लड़की साधारण ग्रेजुएट प्रिय
तुम दहेज़ में बिकने वाले ब्रांड सरकारी हो
मैं अपने क़िस्मत की रानी हूं
तुम महंगे कॉफी पांच सितारा होटल के
मैं किसी टपरी पे मिलने वाली चाय प्रिय
मुश्किल है अपना मेल प्रिय ये प्यार नहीं है खेल प्रिय ...........
तुम हैंडसम गोरे स्मार्ट प्रिय
मैं सांवली मनोहर मनुराग प्रिय
मुश्किल है अपना मेल प्रिय ये प्यार नहीं है खेल प्रिय.......
तुम हिसाब किताब के पक्के हो
मैं जोड़ घटाओ में कमजोर प्रिय
मुश्किल है अपना मेल प्रिय ये प्यार नहीं है खेल प्रिय
तुम प्रैक्टिकल मनोभाव के
मैं एहसासों से परिपूर्ण प्रिय
मुश्किल है अपना मेल प्रिय ये प्यार नहीं है खेल प्रिय 😊

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8 MAR AT 11:15

बहुत उलझने हैं,
सुलझाएं तो सुलझाएं कैसे ....!
वक्त ढलता है और बस ढलता ही रहता है,
हम अपनी रफ़्तार में तेजी लाए कैसे....!
मुश्किल है यहां हर डगर ,
हम कदम बढ़ाए तो बढ़ाए कैसे....!
रोके नहीं रुकती लालसा हमारी,
हम अपने हुनर को पंख लगाए कैसे.....!
आओ बैठो और गौर फरमाओ,
हम वो दीप्ति है जो बुझ जाए तो जगमगाए कैसे.....!
नन्ही सी गुड़िया से ज़िम्मेदारी की पुरिया भी,
हर रिश्ते पिरो के घोलती है मिठास कैसे.....!
सदियों से कई रूप लिए ,
फिर भी पहचान उसकी बस नारी ही कैसे......,,!

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8 MAR AT 0:50

आधी रात को करवटें बदलते रहे हैं,
नींद आए या ख़्वाब आए राह ताकते रहे हैं ।

आँखें रोती रही मन सिसकता रहा ,
दिल में तमन्ना मचलती रही चैन मुझे अब कहा रहा।

चूड़ियों ने आवाज़ दी कई दफ़ा,
पायलों ने पुकार हैं तुमको ।

होंठ गुनगुनाते हैं नगमे कई,
थिरक मेरी अब यादों में हैं।

चले आओ चंदा के डोल में,
जमीन भी अब सितारों की रोशनी में हैं।


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8 MAR AT 0:28

सुना है ...रहमते बरसाती है उसके दर पे,
वो दयालु बड़ा है।
फिर क्यों छीन लेता है वो देके खुशियां ,
क्यों उसके दर पे ये आकाल पड़ा है।
देखी नहीं गई क्यों खुशियां उससे ,
क्यों वो मेरी तबीयत नहीं समझता है ।
मरने को तो मर भी जाते ,
पर जीते जी इल्ज़ाम बहुत लगा है ।
हमें सब ने सही समझा ,
एक हम ही किसी को समझ नहीं पाए।
पाने को थोड़ा कुछ, बहुत कुछ खोया हैं मैंने ।
पढ़ते है आँखें सभी मेरी ,मेरा मन क्यों कोई नहीं पढ़ता है।
बहुत आसान है हमदर्दी जताना,
कोई क्यूं नहीं मेरे दर्दों को जीता है।
मांगने के आदि नहीं है हम ,
फिर भी कई दफ़ा माथे को दर पटका है हमने।
वो निर्जन हैं संवेदनाएं नहीं बसती,
हम भावनाऐं लिए दरबदर फिरते हैं।
मिले खुशी या गम ही मिले ,
उसके दर पे अब हमें ज़हर मिले या मलहम मिले।
सब्र कर लिया हैं इतना की ,अब हर पल में हम खुद को मुकम्मल ही मिले।

परिणीता कुमारी

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14 FEB AT 2:30

Nind ,khwab ,chain- o- sukoon khoya hai ,
Raat k damaan se lipat aaj fir dil roya hai.

करवट बदल - बदल के फिर सवेरा हुआ है ,
बातें करते पर्दे की आज फिर कोई ज़ख्म गहरा हुआ है।

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7 FEB AT 22:55

ख़्वाब बुनने से डर नहीं लगता
लगता है डर ख़्वाब टूटने से
वो आंख जो मोती संजोते है
ठेस लगते ही दरिया से बह निकलते है
हम अपनी दुनिया अपना ग़म समेटे हैं
कोई हमें फिर से न ढूंढे हम खुद में खोए ही अच्छे है।

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18 DEC 2024 AT 21:23

Uska yu mujhe mud mud k dekhna achha lagta hai ,
Uska mujhse dur jaane ki koshish me
meri or hi khichha chale aana
bhi ek mohabbat ka hissa lagta hai .
Ajnabee hai ...ya ...hai nhi,
Janpehchan ka silsila bhi,
Ab thoda achha lagta hai.
Berukhi ,behayai sab ek tarf,
Uska mujhpe jaan chhidkna achha lagta hai.

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2 OCT 2024 AT 19:33

Mukammal nhi hoti gumnaam si rehti hai
Suru ankho se hoti hai khatam dil k katl -e- aam se hoti hai.

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23 SEP 2024 AT 23:21



पलके न झपके ,करवट न बदले
ख़्वाब अब खुली आंखों से फटके
कोई लोरी कोई नगमा कोई किस्सा न रस भरे
रात से होड़ है मेरी ,कोई नींद न अब मेरी आंखों में भरे।

मिलन की आश है,वर्षो की प्यास है।
दिन तो फिर भी काट जाते ,
लेकिन निशा को तेरा ही इंतजार है ।
चंदा तुम पे हंसता ,तारे ठिठोली करते ,
नींद तुम्हारी बैरी है , तकिया तेरा संगी है।
रात से होड़ है मेरी,कोई नींद न अब मेरी आंखों में भरे।

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1 SEP 2024 AT 19:33


ख़बर

हम इतने अच्छे कहां की कोई हम प्यार करे
वक्त जब साथ छोड़ दे तो अपने भी बिछड़ जाए
हम आवारा थे हवा की साथ हो लिए
बिखेर खुशबू सौंधी सब के दिलों में
अब अपना दिल पतझड़ बना बैठे।
कोई लेता नहीं ख़बर तक मेरी ,
हम हर एक की छोट सहला देते।
मेरी जख्मों पे नमक सब लगा देते है
कोई मरहम भला लगता क्यों नहीं
क्यों बदली है नियत सब की क्यों कोई अपना पन जताता नहीं।

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