हंसते मुस्कुराते खिलखिलाते से चेहरे
विदा के लम्हें में बड़े गमगीन से चेहरे
सालों से मिलते रहे हैं जो चेहरे
रटे हैं आंखों को ख़ुशी भरे चेहरे
लग के गले खुल के रो लिए कुछ चेहरे
आंखों में उदासी लिए हंसते रहें कुछ चेहरे
रोज बांट लेते थे आपस में, दर्द खुशी जो चेहरे
बिछड़े तो गागर में सागर लगे कुछ चेहरे
भावों को शब्दों में न बांध सके कुछ चेहरे
मिलने का वादा करते रहे वो चेहरे
जानते थे वादे के दावे को मगर कुछ चेहरे
मिले थे मुझको हंसते खिलखिलाते चेहरे-
कल की फ़िक्र में कितने आज का कत्ल करूं?
©ऋचा
शौहरत तो है मगर मोहलत नहीं
कहता तो है मगर हकीक़त नहीं
उसे अभी किसी की जरूरत नहीं
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ख्वाबों को कैसे शब्दों का चोला पहनाऊं
मेहनतकश हूं, कैसे चंद सिक्कों में बिक जाऊं
कोरे ख्वाबों को सफलता से रंग पाऊं
मेहनतकश हूं,मेहनत करती जाऊं-
किसी सफर के हमराही होते तो अच्छा होता
हार में जीत में तुम संग होते तो अच्छा होता
ये दिल न पालता मुगालता तो अच्छा होता
कड़ियों से न टूटती प्रेम की कड़ी तो अच्छा होता
रेगिस्तान में भी खिलता गुलाब तो अच्छा होता-
माना कि इस बार परिणाम ने सफल घोषित न किया ,
मगर 'हारा हूं ' ऐसा मैंने कब उद्घोषित किया
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I feel I see you and
then i remembered my dream
that never came true
when I look at the stars
I think I'm looking into your eyes
which is full of many secrets
when I look at the sky
I feel my limits that stops me
from flying towards you-
तुम्हारी बातों में छुपी एक चुप है
औ'सारी मुस्कानें उदासी का मुखौटा मात्र।।-