Paridhi Jain   (Paridhi)
38 Followers · 42 Following

जब कलम उठा ही ली है
स्याही पन्नो पे उतर ही आयेगी!
#Likhnekashouk #moodedits #
Joined 24 May 2019


जब कलम उठा ही ली है
स्याही पन्नो पे उतर ही आयेगी!
#Likhnekashouk #moodedits #
Joined 24 May 2019
5 JAN AT 22:53

बचपन की यादें

ये बचपन की यादें जब भी आती है
अपने अंदर के बच्चे को जगा जाती है
काश कोई लौटा सकता हमारा वो बचपन
जिसमें खिला रहता था हमेशा मन,
काश कोई लौटा सकता हमारा वो बचपन
जिसमें खिला रहता था हमेशा मन ।।
जब छोटे थे,
बड़ी-बड़ी बातें किया करते थे,
बड़े-बड़े ख़्वाब सजाया करते थे,
हमेशा बड़े बनने की कोशिश किया करते थे।
और आज जब बड़े हो गये है,
छोटी-छोटी बातों पर ही रूठ जाया करते है,
छोटे-छोटे सपने भी टूट जाया करते है,
हम फिर से छोटे बनने की ख़्वाहिश को जगाया करते है।
बचपन में जब गुल्लक से
छोटे छोटे सिक्कों की खनखनाहट आती थी
बड़ी बड़ी खुशियां भी मन में जैसे तितलियों सी मंडराती थी ।
और आज जेब में रखे बटवे से जो
बड़े बड़े कागज़ के नोटो की खुशबू महकती है
छोटी छोटी ख्वाहिशें भी मानो फूलों सी मुरझा जाती है ।
वो बचपन भी कितना प्यारा था
वो बचपन भी कितना प्यारा था
न रोने की वजह ना हसने का बहाना था,
क्यों हो हैं गए हम इतने बड़े
कितना खूबसूरत वो बचपन का ज़माना था
कितना खूबसूरत वो बचपन का ज़माना था ।।

-


11 DEC 2024 AT 16:09


बस ख़ुद को ये याद दिलाना तुम
कहीं मुस्कुराना ना भूल जाना तुम
जब कभी लगने लगे उम्मीदों का चिराग बुझा-बुझा है,
तब अंधेरी रातों में हिम्मत के जुगनूओ को चमकाना तुम
यहां हर सफ़र में तू तेरा हमसफर , तू ही हमराही है
यह बात मुकद्दर के मुसाफिरों को जताना तुम
और बस ख़ुद को ये याद दिलाना तुम
कहीं मुस्कुराना ना भूल जाना तुम ।।3।।
जब कभी भीड़ में खुद को तन्हा-तन्हा लगने लगे
तब ज़िंदगी में अपनेपन से नई-नई कोंपलों की बौछार लाना तुम
यहां हर बदलते मौसम में तू ही बहार, तू ही पतझड़ है
यह बात हवाओं के झोंको को बताना तुम
और बस ख़ुद को ये याद दिलाना तुम
कहीं मुस्कुराना ना भूल जाना तुम
कहीं मुस्कुराना ना भूल जाना तुम। ।।4।।

- Paridhi

-


11 DEC 2024 AT 16:01

"बस ख़ुद को ये याद दिलाना तुम"

बस ख़ुद को ये याद दिलाना तुम,
कहीं मुस्कुराना ना भूल जाना तुम।
जब कभी लगने लगे सब खाली-खाली है,
तब अपनी ख्वाहिशों का एक सुंदर जहां बसाना तुम,
तेरी बगिया का तू ही गुलाब,तू ही उसका माली है
यह बात सारे बागों को समझाना तुम
और बस ख़ुद को ये याद दिलाना तुम
कहीं मुस्कुराना ना भूल जाना तुम ।।1।।
जब कभी लगने लगे ख़्वाबों का आसमां बिखरा बिखरा सा है,
तब ख़ुद को बिठा सामने आईना सजाना तुम
तेरे ख़्वाबों का तू ही शहजादा,तू ही उसका दास है
यह बात नींद के पहरेदारों को अहसास कराना तुम
और बस ख़ुद को ये याद दिलाना तुम
कहीं मुस्कुराना ना भूल जाना तुम
कहीं मुस्कुराना ना भूल जाना तुम ।।2।।

-


2 DEC 2024 AT 15:36


" किसी को खबर नहीं "
कब धूप चली, कब शाम ढले
कब बादल गरजे, कब मेघा बरसे
किसी को खबर नहीं ।
कब खिलौने टूटे, कब बस्ते छूटे
कब बचपन बीते, कब जवानी रमे
किसी को खबर नहीं।
कब ख़्वाब सजे, कब नींद खुले
कब काम थमे, कब किस्मत फले
किसी को खबर नहीं ।
कब घर छूटे, कब आशियाने बदले
कब अपने रूठे, कब रिश्ते टूटे
किसी को खबर नहीं।
कब दीवानगी उतरे, कब रवानंगी जले
कब सांसे थमे, कब जिंदगी रुके
किसी को खबर नहीं।

-


6 OCT 2023 AT 23:00

मुश्किलों को हरा, कांटों को हटा
राह आसान बनाना आ गया,
आसमाँ मे उड़ा ,ख़ुद के सपनों को सजा
हमें एक नयी पहचान बनाना आ गया,
क्योंकि थोड़ा थोड़ा अब मुस्कुराना आ गया।

ज़माने की झूठी उम्मीद छुड़ा, गलतियों को भुला
लोगो की उदासियों को मिटाना आ गया ,
अपने दर्द सहा, ग़मों को छुपा
ज़ख़्मों पर मरहम लगाना आ गया,
क्योंकि थोड़ा थोड़ा अब मुस्कुराना आ गया।

कुछ यूं इतरा कर ,ख़ुद का वज़ूद बना
ज़िंदगी के पन्ने पलटाना आ गया,
दुनिया की परवाह ना कर, ख़ुद से प्यार जता
बेपरवाह होकर जीना आ गया,
क्योंकि थोड़ा थोड़ा अब मुस्कुराना आ गया।

-


27 SEP 2023 AT 19:26

क्या लेकर आये हैं, क्या लेकर जाये हैं
सैर करो दुनिया की चैन तब पाये हैं
जीवन एक सुन्दर सफ़र हैं
और हम सब यहाँ मुसाफ़िर
घूम ली धरती हमने अब चाँद पर आये हैं
बढ़ो सफ़र में आगे तुम एक तरफ सागर की लहरें
दूसरी ओर आसमाँ में बादल गहरे हैं
देखो हर कोने में सुन्दर (देश) चेहरे हैं
कहीं बर्फ़ीले पहाड़ हैं कहीं बहते झरने नहरें हैं
घूमे हर तरफ़ अब ग़म भी यहाँ ठहरे हैं
ज़िंदगी लगेगी खूबसूरत हर समय ख़ुशी के पहरे हैं।

-


12 MAY 2023 AT 23:40

यूँ ही बस सुबह से शाम होती है
ज़िंदगी हर पल यहां ईमान होती है,

तेरे इंतजार में अब गलियां भी गुलजार होती है
मोहब्बत में अक्सर वफा ही बदनाम होती है,

तेरे ख्यालों में अब रात भी तलबगार होती है
दिल की उम्मीद फिर ख़ुदा से फरियाद होती है,

बातों ही बातों में उनसे आंखें चार होती है
नजरे भी अब तो रूह की दीदार होती है ,

यूँ ही बस सुबह से शाम होती है
ज़िंदगी हर पल यहां ईमान होती है ।।

-


10 MAY 2023 AT 11:35

लिखते है आज ज़िंदगी की किताब
निकले कुछ खाली पन्ने और कुछ अधूरे ख़्वाब ,

पूछते है जब खुद से कुछ सवाल
मिलते हमें टूटे फूटे अनगिनत जवाब ,

करते है जब नये पुराने कुछ हिसाब
रहते है ज़िंदगी में किस्से बेहिसाब ,

ढूंढ़ते है जब खुशी हम सबमें एक साथ
मिलते कभी गुलाब और कभी कांटों का ख़िताब ,

बदले है हर पल कभी ख़ुशी कभी है गमों का बाजार
चलती यहीं तरकीब है जीवन जीने को जनाब ।।

-


5 MAY 2023 AT 19:41

बुद्ध हो जाने का अर्थ
किसी को छोड़कर जाना नहीं
जीवन के झूठे अस्तित्व के लिए
किसी को दुःख पहुंचाना नहीं
बुद्ध हो जाने का अर्थ तो
खुद से खुद की पहचान और
औरो के लिए प्रेम और सम्मान है।

हैप्पी बुद्ध पूर्णिमा🙏

-


25 MAY 2022 AT 16:47

बंद पिंजरों के दरिचो से झांक जिंदगी के पन्ने पलट
जब भी उसे पढ़ने की कोशिश करती हूं उसमें ही खोती चली जाती हूं ।
सागर जितना गहरा अर्थ है वो और मैं उन शब्दों की
गहराई में दरिया सी डूब जाती हूं ।
कोशिश करती हूं उसके पास बैठ उसे समझने की, कुछ किस्से कहानियों की अनसुलझी पहेलियों को सुलझाने की ,उन सवालों के जवाब ढूंढ़ने की पर मानो उन सवाल जवाब की कश्मकश में ही उलझी रह जाती हूं ।
कभी सोचती हूं उसके दर्द उसकी परेशानियों को थोड़ा बांट लूं ,कुछ मसलों का हल तो ख़ुद निकाल उसकी खूबसूरत बनावट को जहन में उतार लूं ,
पर उसके चेहरे की मुस्कुराहट सारे दर्द छुपा जाती है ,
मुझसे ही मेरे गम चुरा ले जाती है।
उसकी शख्शियत उसकी कैफियत कुछ यूं बयां कर जाती है,
ज़माने की रिवायतों से महरूम अर्श से फर्श तक हर्फ हर्फ में जब
मोहब्बत ही समाती है,
और उससे गुफ्तगु में उसकी नज़ाकत की कशिश झलक आती है
तब वो मदहोश आंखें एक "बंद किताब "और "खामोश इंसान" के
जज़्बात बिखेर जाती है ।।

-


Fetching Paridhi Jain Quotes