जब लाल वाली तितली मेरे हाथ से निकल गई,
ऐसा लगा बचपन में जैसे मेरी जान निकल गई।
पीछे-पीछे भागी मैं उसे पकड़ने के लिए,
हाथ आई वो फिर हाथ से निकल गई ।
एक छोटी सी तितली ने कितना भगाया ,
कभी हंसाया, कभी खूब रुलाया।
यूं तो सारी तितलियां मुझे बहुत अच्छी लगती थी,
पर उस लाल वाली तितली में न जाने क्यों मेरी जान बसती थी।
देख उसे मैं चहक उठती थी
फूलों पर बैठकर लाती थी वो महक
मैं उस महक से महक उठती थी।
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जैसे नदी में बहता निर्मल पानी ,
जैसे बहती हो पवन मस्त सुहानी।
जैसे चुनरिया कोई खूबसूरत धानी,
हां, मैं ही उनकी प्रथम कहानी।-
तुम बिन वीरानी है वृंदावन की गलियां ,
विरह में जल रही हैं तुम्हारी प्यारी गोपियां।
याद तुम्हें भी तो आती होगी वृंदावन की,
बिछड़ने की पीड़ा गहरी होगी ह्रदय में तुम्हारे भी ।
इसलिए भेजती हूं मैं नित्य कमल पुष्प तुमको,
वो मात्र कमल पुष्प नहीं, भेजती हूं उसके सहारे
कुछ अतीत के चलचित्र, सजाकर वृंदावन की झांकियां ,
हां कृष्ण, मैं तुम्हें भेजती हूं स्मृतियां, सुंदर स्मृतियां।-
सुबह से 4 घंटे फेसबुक 2 घंटे इंस्टाग्राम और 1 घंटे यूट्यूब , आधा घंटा ट्विटर और आधा घंटा टेलीग्राम चलाने के बाद पत्नी अपने पति से ! uuufff😔🤷♀
what a busy day !!!!!!!😵-
तुम बिन सूना है मेरा जीवन
सब कुछ है बस तू नहीं है ,
और तू नहीं है तो कुछ भी नहीं है।
श्रृंगार अधूरा, ख्वाहिशें अधूरी ,
और तेरे आने की उम्मीद भी नहीं है।
सांसे तो अब भी चल रही है ,
पर तेरे बिन जिंदगी कोई जिंदगी नहीं है।
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खतरनाक है नदी की भयंकर बाढ़ सी,
जहरीली है किसी जहरीले नाग सी।
अंगारे हैं आंखों में कठोर है वज्र सी,
अगन है उसमें सारे जहान की।
वो जल सकती है, वो जला सकती है,
सारी दुनिया में आग लगा सकती है।
शिव शंभू सी प्रलयकारी है,
दूर रहना उससे! वो जलती हुई नारी है।
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khwabon ke parindon ko pinjre me kaid na kr,
Bharne de unhe unchi udaan rok tok na Kar.-
kai baar raste alag hote hai phir bhi manjil ek hoti hai ,
Kai baar raste to ek hote hai pr manjil juda Juda......-