हमेशा के लिये सोना चाहता हूँ
सोचता हूं मर जाऊं
फिर सोचता हूँ अभी जिम्मेदारियां बड़ी है
पहले घर जाऊं
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सोचता हूँ कुछ पन्ने में भी भर दूं ।
न जाने क्यूं दिल गवाही नही देता ।
जो मुझे मिला है इन पन्नो को भी ।
वही दर्द दूं ।-
इन्सान तो रोज़ मरता है
मगर कुछ अच्छा क्यों न करके मरे
की मरने के बाद भी जिन्दा रहे
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सुना है मौत का कोई भरोसा नही
कब कहा किस पल आ जाये
कुछ नही पता
बस अब उसी पल का इंतज़ार है
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जानते है हम अजनबी हो तुम
मगर जाने - जाने से लगते हो
ये भी जानते है गैर हो तुम
फिर भी न जाने जाने - अनजाने
अपने से लगते हो
कही ऐसा तो नही जानते हो तुम
और जानकर - अनजान बनते हो
मन का क्या है कुछ भी मान लेता है
कही - यही वजह तो नही
जो तुम यूं पर्दा करते हो
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कुछ दर्द छुपाया करो दिखाया न करो
की लोग हँसते है दूसरों के दिल का
हाल जानकर-
मेरे जज्बातों से खेल कर आख़िर क्या मिला तुझको
क्या गुनाह था क्या खता थी ये कैसी सजा मिली मुझको
मुझे इस हद तक सताने वाले रुलाने वाले तड़पाने वाले
जीना रास न आये तू मौत को तरसे लगे बददुआ तुझको
तू तिल - तिल कर मरे ढेरों खुशियाँ मिले मुझको
-Dil Ki Baat-
मेरे दिल की ख्वाहिश न पूछ
मै तुझ पर अपने
सारे अरमान लुटा दूंगी
तू मुझ पर प्यार लुटा
मै तुझ पर जान लुटा दूंगी-