Marte hue insaan se kisi ne pucha tumhari aakhri khwaish kya hai:-
Insaan- Mein sukoon se marna chahta hu.
Ye khwabo ka silsila kuch aisa hai jaise gale me thara hua pani ...Jitna bhi rok lo kuch bunde gale se niche utar hi jati hai.-
हँस ले बन्दे...
ना मैं कल मे मिलूंगा,
ना मैं आने वाले कल मे रहूंगा ...
मैं आज हूँ और इस पल मे कायम हूं ।।-
मत छेड़ किस्सा -ऐ-उल्फत,
दर्द की बड़ी लंबी कहानी है ।।
दुनिया से नही हारी अबतक,
मेरे सामर्थ्य की यही निशानी है।।
भूल होगी जो ठोकरों से डर जाऊं,
बस अब कुछ कर दिखाने की ठानी है।।
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देख रे देश तेरा ख़ाक हुए जा रहा है ,
प्रतिभा के नाम पर ये देश कूल्हे मटकाए जा रहा है।।
पूछो भी कभी उन लोगो को जिसने देश मे क्रांति लायी,
मत भागो उनके पीछे जिसने देश मे भ्रांति फैलाई।।
बच्चो का शोषण अब सरे आम हुए जा रहा है,
प्रतिभा के नाम पर ये देश नग्न हुए जा रहा है।।
क्यों नही करते बात हम खुदीराम बोस जैसो कि,
खेलों की,शिक्षा की एक उन्नत भारत के सोच की।।
संगीत के नाम पर देश अश्लील और भद्दा चिल्लाये जा रहा है,
प्रतिभा के नाम पर ये देश tik tok /pubg/insta चलाये जा रहा है।।
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असर उस सफर का ऐसा हुआ,भूले अपने गालियां और दर्द बेअसर हुआ।।
रफ़्ता रफ़्ता घर कर गए मुझमे वो ,पता भी हमारा उसका घर ही हुआ।।
सर्द रातें अब लुभाने लगी हमे ,संमदर भी अब मेरे लिए शोर नही करता ।।
मौसम चाहे जो भी हो कमबख़्त ,किसी और का जोर हमपर नही चलता ।।
रुके कदम मेरे उसके ओर, ऐसा मेरे सफर का हश्र हुआ ।।
बेदाग पन्ने सी थी ये ज़िन्दगी,आज हर पन्ने पर अल्फ़ाज़ उसका नाम हुआ ।।
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एक और खत मेरे नाम लिख देना।।गुज़ारिश मुझसे मिलने की कर देना।।इस बार जवाब में खत नही भेजूंगी।।चाहत दोनों की पूरी हो कुछ ऐसा कर जाऊंगी।।फिर ये खतों का सिलसला न होगा।।नज़रों के सामने तुम्हारा यार होगा।।कसक अधूरी चाहत की ,अब मिट जाएगी।।जब मेरी सूरत पर तुम्हारा इख़्तियार होगा।।
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ये वादियां जो खुद को तलाशती है,
मलिन होती हर दिन ,हर दिन खुद को संवारती है।
मैले कर जाते रोज़ाना इंसान इसे,फिर भी मुस्कुराकर वफ़ा निभाती है।
ये वादियां जो हर दिन रोती है,क्या खता है इसकी ये सवाल पूछती है।
ये वादियां जो खुद को तलाशती है ,खुद के लिए मरहम मांगती है।-
लगाई प्रीत मीरा सी,जोगनिया भी कहलाई ।
बन बावरी तेरे इश्क़ में,तेरा ही नाम दोहराई ।
माँगा नही कभी तुझे,क्योंकि मुझमें तुम भरे हो ।
राधा जैसे कृष्ण को वैसे मुझे तुम प्यारे हो ।-
मन मंदिर मेरा,मूरत तू कान्हा |
चंदन की डाल मैं, खुशबू तू कान्हा |
मेरा रूप जो सँवारे,वो नूर तू कान्हा |
मन मोर मेरा नाचे,वो बसंत तू कान्हा |
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आज फिर वो दौर आया है ,साथ अपने और भी बड़े जख्म लाया है ।।
संभले थे तुम बीती रात लपटों से,आज फिर किसी ने दुबारा घर जलाया है ।।
मुँह न फेरो अपने दर्द से, ये कारवां तुम्हे सुनहरा कर जाएगा ।।
ठोकरें और जख़्म देकर तुम्हे दर्स दे जाएगा ।।-