फूल सा गर तू बन जाएगा,
दिन रात भंवरा सताएगा,
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मेरे उपवन की तितली थी,
वो गजब की लड़की थी,
उसका घर था लकड़ी का,
उसमें चांदी सी खिड़की थी,-
मनुष्य प्रेम में
डूबने से पहले
यह नहीं सोचता
कि आगे क्या होगा
बस वो डूब जाता है।
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ना पेशानी पे कोई लकीरें ना दिल मे कोई ग़ुबार,
शायद मेरी कलम को नींद लग चुकी है,-
जो आसानी से भर दे हर मर्ज के दर्दों को,
जो निडर होकर निभाती है अपने फर्जों को,
रात दिन जो तत्पर है हम सब के वास्ते
मैं दिल से सम्मान देता हूँ उन नर्सो को ,-
एक राक्षस ने चारों ओर तबाही मचा रखी है,
दूर - दूर तक जहरली हवाएं रचा रखी है,
संकट में है प्रजा, हमारे प्राण बचाना होगा ,
है राम! तुम्हे अब फिर से बाण चलाना होगा,
~ पारस बिर्ला ✍🏼
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ये जिंदगी मुझसे खफ़ा बहोत है,
शायद मुझमे दगा बहोत है,
और तुम करो ना प्यार मियां ,
यहाँ प्यार करने की वजहा बहोत है,
सभी के साथ हँसता फिरता है वो,
मगर अंदर से वो तन्हा बहोत है,
कैसे साथ छोड़ दूं उस शख्स का मैं,
जो सारी रातें मेरे लिए जगा बहोत है,
मेरा कुछ अलग है जिंदगी से वास्ता,
तुम करो मज़े,जिंदगी में मजा बहोत है,
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