Param Garvaliya  
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Poet
Joined 5 April 2020


Poet
Joined 5 April 2020
8 JAN 2023 AT 13:42

वो तिरछी नज़र से देखना तेरा ;

देखकर मेरा देखना , शर्माना तेरा।

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3 JUN 2021 AT 12:33

आ ही जाता है लबों पर उनका नाम ;

जब कहता हूँ इश्क़ की दास्तान।

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30 MAY 2021 AT 12:49

नासमझी अब भी है जारी ;

दिल लगा बैठे है फिर से एक बारी।

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10 MAR 2021 AT 20:56

उसकी अदा का हर कोई है दीवाना ;

क़ातिल है उसका मुस्कुराना।

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2 NOV 2020 AT 12:47


ज़हर बेअसर होने में वक़्त लगता है ;

इश्क़ नासूर है , उम्रभर लगता है।

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23 OCT 2020 AT 11:14

अब अफ़साना कहो कि हादसा ;

इश्क़ है उनसे , बेइंतिहा।

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25 SEP 2020 AT 15:21

ये रंग ए रोशनी , ये गुलाबी जाम ;

होठों से निकला बस तेरा ही नाम।

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14 SEP 2020 AT 13:00

सभी को हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं!
💐💐💐

हिन्दी एकता की भाषा है।
ये दिल की परिभाषा ,
हिंदुस्तान की राजभाषा है।

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9 SEP 2020 AT 17:56

तेरी खुशियों पे कुर्बान है ;
हमारे सारे ग़म।

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10 AUG 2020 AT 19:29

पियो हरि नाम का प्याला ;

वो है सबसे निराला।

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