Parag Dubey   (Parag Dubey)
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Joined 29 March 2020


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Joined 29 March 2020
13 JUL AT 0:18

अब तो समझ जा,
उसका जो स्वभाव है

अभी भी उम्मीद है उससे,
तू भी लाजवाब है,

दिल विल छोड़,
क्या तेरा दिमाग़ ख़राब है

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6 FEB AT 20:23

ये इश्क नहीं आसां,
मेरे भाइयों,
ये इश्क़ नहीं आसां

बस इतना समझ लीजिए,

एक उसकी गलतियों का दरिया है,
बस सॉरी बोलते जाना है
😂

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24 JAN AT 18:13

अरमान

पंछी घर को लौटेंगे
कोई ऑफिस से, कोई दुकान से
कुछ थके, कुछ परेशान से
कुछ हंसते हुए, कुछ हैरान से

निकल गई जिंदगी, एक और शाम से
खुश हैं सभी कि, अब नींद भर सोएंगे आराम से
बस वो अकेली फुटपाथ वाली बुढ़िया,
तक रही है कि रास्ता, एक कम्बल के अरमान से

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13 JAN AT 23:42

कभी मैं अपनी ग़लती मान लूं,
कभी तू यूंही मुझे माफ़ करदे

ज़रूरी तो नहीं कि हमेशा हमारे बीच,
कोई सही रहे या ग़लत रहे

ज़रूरी तो ये है कि हमारे इश्क़ की रोशनी,
सदा जलती रहे, सलामत रहे

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8 JAN AT 13:07


कर्तव्य किए जा बार बार,
मुंह सिला रहे हमेशा

जीत हो या अनेकों हार
मन खिला रहे हमेशा

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3 OCT 2024 AT 19:30

Let's watch a new
movie in theatre






Let's watch
TUMBBAD again


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30 SEP 2024 AT 1:32

खुद पर भरोसा रखना,

अंधेरे और उजाले,
दोनो को अपना समझना

उजालों में ऊंची उड़ाने भरना,
और, न उड़ सको तो पैदल ही चल लेना,
बस कोई गिला शिकवा न करना

लेकिन, सिर्फ एक बात याद रखना,
किसी सुरतेहाल में, अंधेरों से न डरना

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7 JAN 2024 AT 22:10

लोग क्या कहेंगे,
क्या सोचेंगे,
क्या समझेंगे,

ये लोगों का कहना, सोचना, समझना,
श्रीमान; ये तो लोगों का काम हुआ न,

तो लोगों के काम का बोझ तुम क्यों ढो रहे हो,
इन लोगों के चक्कर में, तुम ज़िन्दगी क्यों खो रहे हो

दिल जो कहे, वो करो
सोते समाज में तुम क्यों सो रहे हो

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16 FEB 2022 AT 22:20

then only 0.01% of total pages would have covered the human history

THIS WORLD BELONGS TO EVERY SPECIES

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6 NOV 2021 AT 18:38

कुछ कम करलो ना
बहुत ज़्यादा बताया आपने
वो बोल रहा था
एक ठेले वाले के सामने

क्यों ये मोलभाव नहीँ है करता
क्यों ये सवाल नहीँ है करता
वो किसी शोरूम या मॉल में

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