papan kumar145   (pkb the artist)
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Joined 4 April 2018


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5 JUL 2024 AT 19:09

देखो दोनों हाथ ख़ाली है मेरे,
कुछ चाहिए क्या तुम्हें ???

शायद लकीरों में कुछ बचा हो,
देखो बचा हो, तो ले लो

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1 JUL 2024 AT 21:46

हमने गुजरते जमाने देखे, तुम जैसे कितने फसाने देखे ।

हम पे मर मिटे हो, अरे जाओ तुम से कितने दीवाने देखे ।।

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22 APR 2022 AT 22:36

मैं हारा खुदसे,
जितना भी बस खुदसे हैं

वास्ते से वास्ता न रखता मैं,
बंज़र भी और समंदर भी हम खुद से हैं।।

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21 APR 2022 AT 23:08

रात आपको हसिन लगती है,
पर हमें तो बैर सा हैं ।।

मौजूद आपके आसमाँ पे चाँद रहता हैं
पर हमारे लिए तो वो गैर सा है ।।

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17 APR 2022 AT 22:45

गिरवी सारी जिम्मेदारी
गिरवी रखे ईमान मैंने !
किस बात का शिकवा तुम्हे
तेरा क्या बहाना हैं ??

रातें बेची -देखा सपना
एक मैंने जागती आंखों से !
क्या इन जगती रातों का
कोई जमाना हैं ??

तेरे तो सच भी झूठे हैं खुदा, तेरी तरह !
तेरी तरह क्या, कोई और बहाना हैं ??

क्या बहाना हैं ??

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8 APR 2022 AT 23:18

धुँएँ की तलब धुँएँ का स्वाद,
स्वाद कभी चखा क्या ?

आग सीने की चराग पे,
चराग पे कभी रखा क्या ??

नही......तो फिर जिया क्या !!

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19 MAR 2022 AT 22:45

इस बंजर दिल से खंडर में
ये बिना इज़ाज़त कौन रह रहा है ?

हमे मोहहोब्बत हैं उनसे,
हमसे अक्सर ये कौन कर रहा है ?

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6 MAR 2022 AT 0:42

ये किसकी कब्र हैं दिल मे
कौन हैं दफ़न वहाँ ।

कौन साँसे लेता हैं,
कौन रोज़ मरता वहाँ ।।

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23 FEB 2022 AT 23:10

खुश तो आज हम भी होते, सब लोगों की तरह ।
पर क्या करें,नजर और हौंसले पे लगाम नही है मेरे।।

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7 FEB 2022 AT 21:29

अभी तो दिल मे उतर के,
ज़ुबाँ पे चढ़ना हैं ।

इतने से होगा नही,
अभी तो मुझे और आगे बढ़ना है ।।

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