देखो दोनों हाथ ख़ाली है मेरे,
कुछ चाहिए क्या तुम्हें ???
शायद लकीरों में कुछ बचा हो,
देखो बचा हो, तो ले लो-
हमने गुजरते जमाने देखे, तुम जैसे कितने फसाने देखे ।
हम पे मर मिटे हो, अरे जाओ तुम से कितने दीवाने देखे ।।-
मैं हारा खुदसे,
जितना भी बस खुदसे हैं
वास्ते से वास्ता न रखता मैं,
बंज़र भी और समंदर भी हम खुद से हैं।।-
रात आपको हसिन लगती है,
पर हमें तो बैर सा हैं ।।
मौजूद आपके आसमाँ पे चाँद रहता हैं
पर हमारे लिए तो वो गैर सा है ।।-
गिरवी सारी जिम्मेदारी
गिरवी रखे ईमान मैंने !
किस बात का शिकवा तुम्हे
तेरा क्या बहाना हैं ??
रातें बेची -देखा सपना
एक मैंने जागती आंखों से !
क्या इन जगती रातों का
कोई जमाना हैं ??
तेरे तो सच भी झूठे हैं खुदा, तेरी तरह !
तेरी तरह क्या, कोई और बहाना हैं ??
क्या बहाना हैं ??-
धुँएँ की तलब धुँएँ का स्वाद,
स्वाद कभी चखा क्या ?
आग सीने की चराग पे,
चराग पे कभी रखा क्या ??
नही......तो फिर जिया क्या !!-
इस बंजर दिल से खंडर में
ये बिना इज़ाज़त कौन रह रहा है ?
हमे मोहहोब्बत हैं उनसे,
हमसे अक्सर ये कौन कर रहा है ?-
ये किसकी कब्र हैं दिल मे
कौन हैं दफ़न वहाँ ।
कौन साँसे लेता हैं,
कौन रोज़ मरता वहाँ ।।-
खुश तो आज हम भी होते, सब लोगों की तरह ।
पर क्या करें,नजर और हौंसले पे लगाम नही है मेरे।।-
अभी तो दिल मे उतर के,
ज़ुबाँ पे चढ़ना हैं ।
इतने से होगा नही,
अभी तो मुझे और आगे बढ़ना है ।।-