PANKHURI SHARMA   (pankhh)
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Joined 24 May 2020


Joined 24 May 2020
7 JUL 2022 AT 20:25

दिन होते ही रात का इंतज़ार करती हूं

हकीकत में जो ना मिल पाया मुझे
मैं रोज़ सपनो में उससे मिलती हूं

मैं संग संग उसके चलती हूं
फिर से ना छोड़ जाने की ज़िद्द करती हूं

नींद टूट जाने से
साथ छूट जाने से
इस बात से मैं डरती हूं
दिन होते ही रात का फिर इंतज़ार करती हूं
– पंख

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18 MAR 2021 AT 22:18

जो तंज़ मेरे कपड़ों पर कसते हैं,
हम सोच पर उनकी हंसते हैं,
हम तो कपड़े छोटे पहनते हैं,
जनाब, आप तो सोच छोटी रखते हैं।

- पंख

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6 JUN 2021 AT 16:31

Sach hi kaha tha usne ki ...tumhe mere alawa koi samjh nahi sakta...
Ab kaise samjhau kisi ko ki ...uske alawa mujhe koi samjh nahi sakta!

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19 MAY 2021 AT 2:04

Main fursat ke woh pal dhund rahin hoon,
Jahan MAIN.. MAIN ho jaunn!!!

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16 MAY 2021 AT 1:03

Kuch baatein Hain,
Jo tumse kehni hain,
Dil ke masle hain,
Jo hal karne hain,
Beet gaye din,
Kaafi intezaar mein,
Chalo ab toh ek dusre ko bin kahe sunte hain..

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26 APR 2021 AT 22:13

मैंने कई बार पता किया उसका पता,
उस पते पर निकला किसी और का पता,
जो पता चल जाता उसका पता,
तो होता हमारा एक ही पता। 😂

- पंख

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6 APR 2021 AT 0:02

कुछ नशा सा है मुझे तेरी बातों का,
यूंही नहीं दिन भर तेरा इंतज़ार रहता है।

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4 APR 2021 AT 20:56

Jo koi khata ho humari,
Humse hi kehna,
Jag Zahir karke,
Tamasha na karna!

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17 MAR 2021 AT 3:31

ऐ दिल कभी तो मेरी भी सुन,
कब तक बोल उसके गुन-गुनाएगा।

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16 MAR 2021 AT 20:51


हमको आजमाने की,
इश्क़ में सताने की,
तुम्हें जल्दी बहुत थी,
जाने की।

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