मैने जिन आंखो मे अपनो के लिए
कुछ सपनों को जीते देखा था।
खुशियों की चमक
चमक मे मुस्कुराती नमी देखी थी
आज उन्हीं आंखो में थकान और उदासी
के साए झिलमिलाते है
कुछ खामोशियां और अधूरे ख्वाब नजर आते है
सच ही है हम जो चाहते है वो कहां मिल पाता है
कल क्या होने वाला है ये कहां किसी ने जाना है- Khawahishon ke "Pankh"
7 JUN 2020 AT 13:15