Author Pankh   (Khawahishon ke "Pankh")
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Joined 5 January 2020


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12 OCT AT 22:38

कई बार लगता है
मंजिल कुछ कदमों की
है दूरी पर
पर जब करीब पहुंची तो
बस भ्रम रह जाता है

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12 OCT AT 22:31

जिंदगी को पहचाना है।
खुशी और सुकून का तो पता नहीं,
पर दर्द और बेचैनियों से रिश्ता पुराना है।
शायद यही ज़िन्दगी का असली फ़साना है,
सुकून पलभर का और दर्द सदियों पुराना है।

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12 OCT AT 20:35

चाहत है बस यही
चाहे मुझे वो कुछ इस तरह
की भूल जाऊं मैं खुद को भी
अब तक मेरी जिंदगी में
जो शामिल हुआ भी नहीं
क्या जगह है उसकी
मेरी जिंदगी में
उसे अंदाजा भी नहीं

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10 OCT AT 17:03

करवा चौथ

दिन सौभाग्य का
प्रतीक श्रृंगार का
एहसास प्यार का
और
साथ सुहाग का

पर आज भी कितनी ही ऐसी लड़कियां है जो इस दिन को जीने के लिए तरस रही है क्योंकि उनकी जिंदगी में अब तक ना तो इस दिन ने दस्तक दी , ना उस शख्स ने जिसके नाम ये दिन होता है।

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15 AUG AT 8:40

तिरंगा शान है अपनी
अभिमान है, मान है, पहचान है अपनी,
इस पर हर सांस कुर्बान है अपनी।

जो मिटाए, मिटता नहीं,
जो झुकाए, झुकता नहीं,
अडिग खड़ा है आंधी-पानी में,
ये तिरंगा वीर कहानी में।

ऐसी शान है इसकी,
गौरव है ये हमारा,
इसकी छांव में महफूज़ है हम,
है हिंदुस्तानी हम ये हिंदुस्तान है हमारा।

लहराए ऊँचा नभ के पार,
गूंजे इसका जय-जयकार,
है ये तिरंगा, दिल का सहारा,
है ये राष्ट्रध्वज हमारा।

Happy Independence Day 🇮🇳

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14 AUG AT 23:05

है
पर ये भी विश्वास है
चोट खाऊंगी ना मैं कभी
क्योंकि
रब मेरे साथ है

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14 AUG AT 21:13

अब तो इंतजार हैं बस उस पल का मुझे
ये पल इस तरह से मेरी जिंदगी में आए
की आकर बस ठहर सा जाए

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14 AUG AT 21:07

जब से खुद को पहचाना है
हमें खुद को बयां करना आ गया
दिल में छिपी कई ख्वाहिशें है
जो खुद से भी कहने से डरते थे
उन्हें आहिस्ता आहिस्ता लफ्ज़ों में
ढालना आ गया
मैं तो लिखती हूं वही
जो चाहतें मुझमें ही छिपी है कहीं
थोड़ा थोड़ा लिखना आ गया है

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14 AUG AT 20:53

तेरे पहलू में वो सुकून है
जो मुझे दुनिया से महफूज कराता है

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14 AUG AT 20:44

हसरत है सिर्फ इतनी सी
जितना चाहूं मैं तुझको
तू भी उतना चाहे मुझे

इतना सा अरमान है बस
जो हक जताता है तू मुझपे
वही हक तुझ पर मिले भी मुझे

बस यही आरजू है
जिस तरह से तू मुझमें शामिल है
उसी तरह तू भी मेरा घर बन जाए

इतनी सी है बस ख्वाहिशें
दिल में छिपी हो जो भी अभिलाषाएं
बिना किसी झिझक के हम एक दूजे कह पाएं

बस इतना इस रिश्ते में यकीन हो
तेरे मेरे दरमियां ना किसी गलतफहमी की जगह हो
हम एक दूसरे की खामोशियां भी पढ़ पाएं

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