|| Om Gan Ganpataye namo Namah ||
Dear Reader's,
मैं Author Pankh आपके लिए लेकर आई हूं , एहसास की खुशबू से महकती , अनकहे जज्बातों का संगम , दर्द , समर्पण , कुछ झिझक , कुछ नजदीक आने की चाहत , दिलों में शामिल तन्हाइयां, बेचैनियां, कुछ बेबसी , ढेर सारी खामोशी, और समाज की बनाई बंदिशों की परिभाषा को परिभाषित करती , अपनी दूसरी कहानी " हुई मैं तेरी जोगनिया "
इस उम्मीद के साथ की आप इस कहानी को भी वही प्यार देंगे , जो आपने " ना जाने क्या है तुझसे राब्ता " को दिया है , सच कहूं तो इस कहानी को लिखते वक्त बहुत डर लग रहा है , क्या ये स्टोरी भी आपके दिल को छू पाएगी। मेरी आप सबसे एक ही रिक्वेस्ट है , प्लीज इस नए सफर में मेरे साथ रहिएगा , मुझे मेरी गलती बताने के लिए।
ताकि मैं वो लिख सकूं जो आपकी रूह तक जाए।
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