सहेज के आज भी रखी है पिताजी की दी हुई साइकिल,
खुद की खरीदी गाड़ी भी कमबख्त अपनी नही लगती।-
रिश्तों मे सिर्फ नाम का फर्क होता है;
वरना बड़ी बहने भी माँ से कम नहीं होती।-
ज़िन्दगी के उलझनों में कुछ दोस्त भी बना लेना,
दोस्त परिवार होते हैं, पर परिवार दोस्त नहीं होता।-
होली दीवाली ईद क्रिसमस के अलावा भी
जिनको फ़ोन करते हो वही दोस्त हैं।-
सिर्फ एक सच की ही ख्वाहिश थी हमें,
और उन्होंने झूठ से अपनी उम्र गुज़ार दी।-
कुछ दोस्त भी अजीब होते हैं,
कमबख्त हमारे सपनों को खुद का सपना समझ लेते हैं।-
लोग कहते हैं लिखना क्यों छोड़ दिया,
हमने कहा अब रोना जो सीख लिया।-
अपनी अदाओं के जलवे किसी और को दिखाना,
ब्राह्मण हैं, हमें प्यार नही दक्षिणा चाहिए।-
मेरे घर की देख रेख तो आज भी पापा ही करते हैं,
चाहे तस्वीरों से ही क्यों न हों।-
जब कोई किसी को छोड़कर दुनियां से चला जाता है,
तब अपनों को ये दुःख कम होता है कि वो अब है नहीं,
और ये दुःख ज्यादा होता है कि दुनियां उसे कैसे भूल गयी
जैसे कुछ हुआ ही नहीं।-