Pankaj Sir   (Yamraj)
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Joined 18 August 2021


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Joined 18 August 2021
5 JUN 2023 AT 11:53

चोदह राजु लोक में, असंख्य द्वीप समुद्र में, अढ़ाई द्वीप पंद्रह क्षेत्र में,
मेरे शरीर से स्पर्श करने में आवे,
मुँह से खाने में, पीने में, बोलने में आवे,
रसनेन्द्रिय से रस लेने में आवे,
नाक से सूंघने में आवे,
आँखों से देखने में आवे,
कानों से सुनने में आवे,
दोनो हाथों से लेने-देने में आवे,
काम करने में आवे,
दोनों पावों से चलने में आवे
शुभ विचार मन में आवे,
इंद्रियों से, मन से, वचन से, काया से,
जितनी क्रिया करने में आवे,
भगवान की साक्षी से मेरे धारण अनुसार
मुझे दुविहं तिविहेणं से आगार।
इनसे अधिक जग में जितने पाप है,
उन सब पांच पापों के आश्रव सेवन के-
प्रत्याख्यान।
जाव नियमं दुवीहं तिविहेणं , तस्स भंते ! पडिक्क्मामी निंदामि गरिहामी अप्पाणं वोसिरामि।

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21 FEB 2023 AT 14:19

कोई हमेशा किसी के लिए ज़रूरी नहीं रहता॥
या तो जरूरते बदल जाती है या कभी इंसान॥

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22 FEB 2022 AT 15:18

रिश्तों को परखो मत॥
उस पे विश्वास करो॥
कुछ ग़लतफ़हमियाँ हो तो॥
बात करो॥
कुछ भूलों कुछ माफ़ करो॥— % &

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17 FEB 2022 AT 14:03

भ्रम था ।

टूट गया।

ठीक रहा । — % &

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14 FEB 2022 AT 23:01

बुरा तब नही लगता जब आप गलत होते हे।

बुरा तब लगता हे जब आप सही होते हुवे भी

आप को गलत समझा जावे । — % &

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27 JAN 2022 AT 14:38

इंसान अच्छे वक़्त मे बुरा वक़्त भूल जाता हे।

ओर इंसान के बूरे वक़्त मे अच्छे अच्छे उसे भूल जाते हे।

— % &

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21 JAN 2022 AT 21:15

कुछ नही। सब बढ़िया।

इन शब्दों मे बहुत कुछ होता हे।

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21 JAN 2022 AT 11:25

अगर अच्छाई आप मे नही ।

तो दुनिया मे कही नहीं मिलेंगी।

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20 JAN 2022 AT 10:23

कभी कभी हम अपनी पहले से बनी कल्पनाओं के आधार पे प्रतिक्रियां दे देते हे ।

किसी बात कि वास्तविकता जाने बिना प्रतिक्रिया देने पर सदैव पछतावा ही मिलता हे।

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19 JAN 2022 AT 22:17

हर बात शब्दों मे बया नही होती।
कुछ बाते समझने के लिए होती हे ।
कभी कहना कुछ ओर होता हे ।
बोलते कुछ ओर ।
इस उम्मीद मे शायद शब्दों की जगह भावना समझे।

कहने वाला अपनी भावना कहता हे।
समझने वाला शब्दों को समझता हे।
यही एक बड़ी समस्या हे।
ओर शायद इसी की वजह से बहुत दूरिया हो जाती हे।

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