हम बेखबर थे उनकी तन्हाइयों से
और वो ख़्वाब में हमें अपना बना कर ले गया ।-
ढ़लती है शाम , कहीं सवेरा होता है
मदिरालय में पीने वाला कहां अकेला होता है ।-
Haaye❤️
ज़ालिम!
जाने कितनो को तबाह कर बैठी है ये मुख्तसर सी अदाएं तुम्हारी ,
अब तो आरज़ू बस इन्हें क़ैद करवाने की है ।।
:- Pk-
कुछ तो बद्दुआएं लगी होगी इन निगाहों को ,
यूं ही नहीं हर शख़्स इन्हें मुजरिम बुलाता है ।
🖤🖤
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दीवानों की बस्ती में दिलजले हज़ार रहते हैं
उठाए जाम हाथ में मुजरिम कई आबाद रहते हैं।।-
हो इतने गम मुझे तुम अता कर दो ना
कि ज़ालिम तुम नहीं यह ज़माना हो जाए-
नींद आंखों में अब क्यों आती नहीं
ए वतन के गीत जरा सुला दो मुझे ।।
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लिपट तिरंगे में आऊं घर
वतन की मैं एक शान बनूं
कतरा कतरा बोले मेरा हर क्षण हिंदुस्तान बनूं
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लिख रहा हूँ मैं इंतजार की घड़ी
जज्बातों को मेरे जरा संभालो कोई-
कभी तलवार की धार दिखी कभी भगत सिंह का पाश दिखा
दिखी कभी गांधी की लाठी हर घर वतन का प्यार दिखा
बहा लहू मेरे 'आदर्शों' का तलवारों की शान दिखी ,तलवारों का बलिदान दिखा
जगी जब इंकलाब की ज्योति तब हर घर हिंदुस्तान दिखा
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