Pankaj Singh Kaintura   (पंकज कैन्तूरा)
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#ज्खम इस कदर दिए अपनों ने...
कि दर्द को #अल्फाज़ों का सहारा मिल गया.....
Joined 18 May 2020


#ज्खम इस कदर दिए अपनों ने...
कि दर्द को #अल्फाज़ों का सहारा मिल गया.....
Joined 18 May 2020
5 APR 2021 AT 23:53

हम बेखबर थे उनकी तन्हाइयों से
और वो ख़्वाब में हमें अपना बना कर ले गया ।

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29 MAR 2021 AT 23:01

ढ़लती है शाम , कहीं सवेरा होता है
मदिरालय में पीने वाला कहां अकेला होता है ।

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18 FEB 2021 AT 10:58


Haaye❤️
ज़ालिम!
जाने कितनो को तबाह कर बैठी है ये मुख्तसर सी अदाएं तुम्हारी ,
अब तो आरज़ू बस इन्हें क़ैद करवाने की है ।।

:- Pk

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17 FEB 2021 AT 17:46

कुछ तो बद्दुआएं लगी होगी इन निगाहों को ,
यूं ही नहीं हर शख़्स इन्हें मुजरिम बुलाता है ।
🖤🖤

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24 JAN 2021 AT 23:41

दीवानों की बस्ती में दिलजले हज़ार रहते हैं
उठाए जाम हाथ में मुजरिम कई आबाद रहते हैं।।

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26 SEP 2020 AT 21:40

हो इतने गम मुझे तुम अता कर दो ना
कि ज़ालिम तुम नहीं यह ज़माना हो जाए

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15 AUG 2020 AT 8:33

नींद आंखों में अब क्यों आती नहीं
ए वतन के गीत जरा सुला दो मुझे ‌।।

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15 AUG 2020 AT 0:11

लिपट तिरंगे में आऊं घर
वतन की मैं एक शान बनूं
कतरा कतरा बोले मेरा हर क्षण हिंदुस्तान बनूं

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14 AUG 2020 AT 23:31

लिख रहा हूँ मैं इंतजार की घड़ी
जज्बातों को मेरे जरा संभालो कोई

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14 AUG 2020 AT 23:24

कभी तलवार की धार दिखी कभी भगत सिंह का पाश दिखा
दिखी कभी गांधी की लाठी हर घर वतन का प्यार दिखा
बहा लहू मेरे 'आदर्शों' का तलवारों की शान दिखी ,तलवारों का बलिदान दिखा
जगी जब इंकलाब की ज्योति तब हर घर हिंदुस्तान दिखा

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