Pankaj Singh Bisht   (Pankaj Singh Bisht)
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Just want to die with a smile...
Joined 2 December 2017


Just want to die with a smile...
Joined 2 December 2017
19 JUL 2024 AT 10:08

बोटल खत्म हो गई, एक और मंगा दे,
जो भी है दिल में बात, आज तू जता दे।
वजन बढ़ गया है तुम्हारा, एक्सरसाइज कर,
कम नहीं होगा ऐसे, बस स्प्राउट्स खा के।।

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18 JUL 2024 AT 23:51

खुशी की दीवारों पर गेमों की कीलों को ठोक दिया,
देख अपने हालात मेहनत की भट्टी में झोंक दिया,
आदमी हूं मशीन नहीं हूं कुछ तो सोचो मालिक,
कल रात Diployemt को रुका था आज hotfix को रोक लिया

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18 JUL 2024 AT 23:09

रोज हमें ये बात पूरी रात भर सताती है,
दूर निकल जाना चाहता हूं साथ चले आती है,
दिन भर खाली बैठे हुए थे हम आपके सामने,
QA में task assign करने की याद 6 बजे ही आती है?

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18 JUL 2024 AT 23:03

२ दिन क्या हुए मिले तुमने हक जाता दिया,
जो थे गैर सालों से उनको अपना बता दिया।
ये उम्मीद न थी तुमसे ए जालिम,
घर निकलने ही वाले थे, नया task थमा दिया।।

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18 JUL 2024 AT 22:54

तू मन में कुछ बोलती है वो भी सुनता हूं,
शब्दकोश के बगीचे से तेरे लिए लफ्ज चुनता हूं।
तू मुझे महंगे कपड़े मत दिला, चलेगा,
पर याद रख, मैं जॉकी की कच्ची पहनता हूं।।

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16 JUL 2024 AT 23:55

फायदा ही क्या कर्म का जो फल न मिला चखने को,
इससे भला हम सो जाएं, दे दो चादर ढकने को।

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16 JUL 2024 AT 23:54

कर्म का फल हर कोई चाहता है,
कृष्ण आपकी बात नहीं मान सकते,
निर्मोही बन कर्म कर और आगे बड़,
ये अपने मन में हम नहीं ठान सकते।

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16 JUL 2024 AT 23:52

निर्मोही कौन है जगत में,
हर किसी की कुछ लालसा है,
कोई धन के मोह में फसा,
कोई कामाग्नि में जला,
कुछ जीवन का मोह न छोड़े,
कुछ मरने की बाट जोहे,
कुछ को ज्ञान का मोह बड़ा है,
कुछ को ज्ञान पे घमड़ बड़ा है,
कुछ व्यसन के आदि हैं,
कुछ आलस्य के परियाची हैं,
चाह तो सभी को है और मुझे भी,
वाह सुनूं ,सुनाऊं जब पंगत में,
निर्मोही कौन है जगत में।

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25 JUN 2024 AT 22:55

आज मेला लगा है, मेले में जाऊंगा,
झूले में झुलुंगा और जलेबी खाऊंगा,
बढ़िया बढ़िया कपड़े पहनाए जाएंगे,
खाली हाथ नही पैसे भी लेके जायेंगे,
वो पैसे आज मम्मी से मिलेंगे, जो मैंने कमाए थे,
जब भी नानी के घर गया था तब पाए थे,
कुछ मामा ने दिए कुछ मामी ने और कुछ नानी ने थमाए थे,
मम्मी तो न मत दो कहती पर सबने मेरी जेब में छुपाए थे,
आज वो पैसे निकलेंगे जो ले लिए थे मम्मी ने कह के ला संभाल देती हूं,
तुझसे खो जायेंगे मैं अपने बटुए में रख देती हूं,
गिन के रखे हैं मैने ७० रुपए थे जो नानी घर से आए थे,
और याद है मुझको चाचा ने मुझे २० रुपए पकड़ाए थे।
तो मम्मी हो गए मेरे ९० रुपए और १० आप भी जोड़ दो।
१०० रुपए का नोट दो सीधा जोड -तोड़ को छोड़ दो।

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12 AUG 2023 AT 17:05

सत्य को क्या शर्म है,
ये क्या कोई मर्म है,
नवजीवन के निर्माण हेतु,
सबको करना ये कर्म है।
ज्ञान से होगा सुखमय,
ज्ञान हो तो ही सफल होगा,
अर्ध ज्ञान या झूठे ज्ञान से,
सहवास बहुत जटिल होगा।
जान खुद के शरीर को,
काम भावना को पहचान,
यौन उत्तेजना को काबू करने के,
सारी विधियों को तू जान।

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