गलती थी मेरा कहना, "अच्छा और बताओ "
फिर 5 शब्द उसके 35 मिनट ले उड़े
( पता है आज क्या हुआ)-
गलती थी मेरा कहना, "अच्छा और बताओ "
फिर 5 शब्द उसके 35 मिनट ले उड़े
( पता है आज क्या हुआ)-
मैंने कोशिश की मौहब्बत को मिटाने की
सिर्फ दो अक्षर रह गए पहला और आखरी-
तुम्हारा नाम तक भूल ने लगे हैं बताओ
तुम्हें इससे भी अधिक प्राइवेसी चाहिए
लो जला दी पुरानी तस्वीरें तुम्हारी
तुम्हें और कितनी रोशनी चाहिए-
पहले पुराने टुकड़ों का हिसाब देखा जाए
फिर एक बिल्कुल नया ख्वाब देखा जाए
अर्जुन की भांति केवल आंख पर निशाना
कांटो को छोड़ सिर्फ गुलाब देखा जाए
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बहुत दिन हुए जब दिखा नहीं इंसान वो
फिर एकटक लगाए रखी नजर आसमान को
पहले खिड़की पे दिखा करता था चांद
अब खिड़की से देखते हैं हम चांद को-
दिन कटता है, लगता है डर रात से मुझको
अब हिचकियां भी आती है तो हिसाब से मुझको
कई साल बंद रहा उस कैद में मैं
किसी ने नहीं निकाला उस हवालात से मुझको
तेरे जाने के बाद अब शराब खुश है
क्योंकि मोहब्बत हो गई है, अब शराब से मुझको-
हम ही जिम्मेदार है इन हालातों के दोस्त
हमसे ना पूछ की वजह क्या है
नए चेहरे नई छत और एक नया शहर
सब बदल लिया हमने
अब बदलने को बचा क्या है-
पत्ती और दूध मैं क्लेश उत्पन्न हो रहा है
लगता है अब की बार कॉफी बाजी मार लेगा-
जरूरत पड़े तो आना कभी
वादे यह सारे खोखले लगे
कमियां हुई तो सब ने गिनाए
खूबियो से कुत्ते भोकने लगे
इस तरह याद रखा उस एक शख्स को हमने
कि अब आईना देखकर भी हम चौंकने लगे-