मैं अगर ठुकराने बैठूं, तो सब कुछ छूट जाएगा..
और अगर जताने बैठूं, हर रिश्ता टूट जाएगा..
मेरी ज़िद से अभी तुम वाकिफ़ ही कहाँ हो,
मैं अगर भुलाने बैठूं, तो हर अपना रूठ जायेगा!!-
PANKAJ SHARMA
(Pankaj)
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Remember who i am...
Joined 24 February 2019
2 MAR 2024 AT 20:57
6 SEP 2022 AT 23:51
यहां हर कोई एक दूसरे का जज बना बैठा है,
ज़माने की महफिलें अब हमें अदालत सी लगती है ।।-
2 JUN 2022 AT 0:06
अच्छा हो अगर...
जो खो गया उसे फिर से पाने की ख्वाहिश ना करें ।।
जब ख़ुश नहीं तो मुस्कुराने की कोशिश ना करें ।।-
3 JUN 2020 AT 12:26
Wo baithe baithe apni khwahishen ginwa rahi thi,
Humne do chai manga ke saari puri kar di..-
27 SEP 2021 AT 17:33
तुम इंसानियत ही कह लो तो अच्छा होगा,
बात मोहब्बत जैसी तो कोई बाकी नहीं रही ।।-
31 AUG 2021 AT 23:11
जहां हर गली मे बस्ती है मेरे बचपन की यादें..
बहुत मुश्किल है उस शहर को छोड़ कर जाना ।।-
3 JUL 2021 AT 2:07
जो कहते हैं कि बहुत आसान हैं जज़्बातों को संभाले रखना,
बस एक बार अपने बचपन की गलियों से गुजर कर देखें ।।-
13 JUN 2021 AT 13:12
जब भी ज़िक्र हुआ हर कदम पर साथ देने वालों का,
हमें आईना देखकर सबसे ज्यादा सुकून मिला !!-
20 MAY 2021 AT 0:16
वो महफिलें सजाएं थे,
हमारा मजाक बनाने को,
हमने खुद पर हंस के,
सारी ख्वाहिशें फना कर दी !!-