"कितना अच्छा लगता है ना, जब कोई शक्स मिलता है, और वह ख़ुद को ना जानकर, तुम्हें जानने की कोशिश करता है"
ख़ुद को ना जानकर तुम्हें जानने तक!
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"जब मैं आईना देखता हूं तो "मेरी आँखे" आँखों से पूछती है, कि वो आँखे कहाँ गई जो "तुम्हरी आँखों" में अपनी दुनियाँ देखती थी"
मेरी आँखों से तुम्हरी आँखों में!-
"मुझे लगता है कि तुम्हें भी ये लगता होगा, कि तुम मेरी क्या लगती हो और मैं तुम्हारा क्या लगता हूँ"
मुझे लगता है से तुम्हें लगता होगा!-
"हाथ में टच फोन का होना या ना होना कोई मायने नहीं रखता, परंतु जीवन में लोगों के टच में रहना बहुत मायने रखता है"
टच फोन से लोगों के टच तक!-
"अकेले ही तय करने होते हैं कुछ 'सफ़र', हर सफ़र में 'हमसफ़र' नहीं होता"
सफ़र से हमसफ़र तक!-
"उसके सिर्फ छू लेने से, मेरे 'रूह' की उम्र बढ़ गई,
गर वह मुझसे बात कर ले तो मेरी 'ज़िन्दगी' सवर जाए"
रूह से ज़िन्दगी तक!-
"ख़ुद' को 'खुदी' से इतना बुलंद कर, कि 'ख़ुद' को 'खुदी' पे नाज़ हो"
ख़ुद से खुदी तक!-
"तुम्हारे जीवन' ने 'मेरे जीवन' को इतना 'जीने' लायक बना दिया है, कि अब मुझे और किसी 'जीवन' की जरूरत नहीं है "
तुम्हारे जीवन से मेरे जीवन तक!-
"ऊंचाई में इतनी ऊंचाई हो गई हैं, कि अब ऊंचाई को ही ऊंचाई से डर लगने लगा है
ऊंचाई से ऊंचाई तक!-
"गरीबों' को 'गरीबी' से इतना लगाव हो गया है, कि अब 'गरीबी' ही 'गरीबों' की पहचान बन गई हैं "
गरीबों से गरीबी तक!-