मैं अपने गीत गजलों से उसे पैगाम करता हूं, उसी की दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूं। हवा का काम है चलना दिए का काम है जलना। वो अपना काम करती है मैं अपना काम करता हूं।
जवानी में कई ग़ज़लें अधूरी छूट जाती हैं ! कई ख्वाहिश तो दिल ही दिल में पूरी छूट जाती हैं !! जुदाई में तो मैं उससे मुक्कमल बात करता हूँ !!! मुलाकातों में सब बातें अधूरी छूट जातीं हैं !!!
लगन और योग्यता एक साथ मिले तो, निश्चित ही एक अद्वितीय रचना का जन्म होता है !! "मन्ज़िल उन्ही को मिलती है, जिन्हें मेहनत में जिंदगी के बहुमुल पल कुर्बान होती है