तल्खियां तमाम दिल मे दबाने से क्या होगा? किसी से मिलके नजरें चुराने से क्या होगा? कोई खाता गर हुई है हमसे अनजाने में, तो बता भी दो, हसरतें छुपाने से क्या होगा?
गुफ़्तगू उनकी अब, अग्यार से होने लगी है, उन्हें शिकायत, लफ़्ज़े प्यार से होने लगी है, कल जो कहते थे तुम्हे भूलना मुमकिन नहीं, आज नफ़रत उन्हें, मेरे दीदार से होने लगी है।
मुस्कुराते चेहरों का दर्द जनता कौन है, बेगानों की महफ़िल में पहचानता कौन है। यूं तो दलीलें देता है हर कोई इश्क़ ना करने की, मगर करते सब हैं ज़नाब, मानता कौन है।
निरन्तर, निश्चल, एवं निःस्वार्थ भाव से किया गया कार्य आपके सपनों को पूर्ण करने के लिए नितान्त आवश्यक है, जो व्यक्ति अपने कार्य को समर्पण की भावना से करता है, उस व्यक्ति को निराशा का सागर कभी डुबो नहीं सकता।