Pankaj Pandey   (पंकज पांडेय)
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एक उभरता कागज का प्यासा ।।
Joined 22 November 2017


एक उभरता कागज का प्यासा ।।
Joined 22 November 2017
16 APR 2022 AT 22:31

अपने बल, ज्ञान और सामर्थ्य का घमंड होने पर व्यक्ति धीरे-धीरे क्षीण हो जाता है।
🙏जय श्री राम 🙏
🙏जय हनुमान 🙏— % &

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12 APR 2022 AT 19:36

तुम कविता हो।
तुम्हारी बात कविता है।
तुममें बदलता हर भाव कविता है।
तुम्हारी याद कविता है।
तुमसे मिली सौगात कविता है।
तुम्हारी आहट कविता है।
हर मुस्कुराहट कविता है।
तुम्हारा रूठना कविता है।
मानना भी कविता है।
तुम उलझन एक अनसुलझी।
तुम पहेली हो।
तुम्हें जानना कविता है।
(अंतिमा 💙 के लिए)— % &

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12 APR 2022 AT 19:21

लिखना, के तुम थे।
लिखना, के तुम हो।
लिखना, के तुम रहोगे।— % &

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11 APR 2022 AT 21:19

बड़ी चिंता का विषय है ज़िन्दगी!
चिंतीत होना तो लाजमी है।— % &

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10 APR 2022 AT 8:19

"प्रेम कबूतर"

मेरा प्रेम, कबूतर निकला।
मिला मिलकर, उड़ गया।
वो मेरे सामने वाले घोंसले में रहता था।
मेरी उससे रोज गुटर गूं होती थी।
मैंने उसके साथ उसके घोंसले में रहने के सपने देखे।
पर एक दिन कबूतर अपना घोंसला छोड़ कहीं चला गया, मालूम नहीं कहां ?
शायद उसे कोई और कबूतरी पसंद आ गई।
मैं आज भी उसके घोंसले के सामने रहती हूं अपने नए
कबूतर के साथ।
और अंत में मेरा प्रेम कबूतर ही निकला।
(प्रेरणा 'मानव कौल')— % &

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8 APR 2022 AT 9:42

ये उम्रों का खेल
मत खेल
कोई नहीं जीता सदा
सब हो जाते हैं फेल— % &

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7 APR 2022 AT 21:41

Live the life
Offer valid till the breath.— % &

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7 APR 2022 AT 21:22

प्यार में भुख की कोई गुंजाइश नहीं।
क्योंकि भुख हर रोज लगती है पर प्यार नहीं।— % &

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7 APR 2022 AT 21:11

"इतने शब्दों की जिंदगी
एक दिन कहानी बन जाती है।"— % &

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7 APR 2022 AT 21:02

उस पार वाले
इस पार तो आओ
क्या है दिल का
हाल सुनाओ
बड़े दिनों से
नींद नहीं आई
माथा आकर सहलाओ
पूरा दिन
तुम क्या करते हो
सारा मुझको बतलाओ
उस पार वाले
इस पार तो आओ
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