Pankaj Nirabh   (Pankaj Nirabh Anand)
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Joined 3 July 2020


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11 FEB 2023 AT 19:07

कब तक बैठोगे अकेले ।।

कब तक बैठोगे अकेले
माना तनहा बहुत है आजकल लोग
खामोशी की वजह होगी लाखो
कोई मुस्कुराहट की वजह तो सोच !

कि कब तक हार कर तुम बैठोगे अकेले
सफर को जिन्दा रखकर देख
मिलते है जख्म फूलों संग सैकड़ो
फूलों की तरह सहकर देख !

नहीं मिलता मंजिल यूं ही किसी को
तू भीड़ से लड़कर देख
मोड़पर पर बाशिंदे रूकते है
तू मुसाफिर बनकर तो देख !

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4 FEB 2023 AT 22:33

|| साथ रहा अहसास तेरा ||

हां साथ रहा अहसास तेरा
मगर मैं फिर भी रहा तेरे इन्तज़ार में
खामोशी से गुजर ही गई एक और रात
मैं फिर भी रहा सुबह के इन्तजार में ||

नजाने कितनी सन्नाटो में गुजरी रातें
गुमसुम डूबा रहा मैं जज्बात में,
नजाने कितनी नशेमन आहटे सुनी
मैं फिर भी रहा तेरे ख़यालात में ||

यादों से हिसाबें की, राहों से की मैंने बाते
कुछ तो ऐसा था, तेरे मुलाकात में
दूरियां बढ़ी और शहर छूटा,
मैं फिर भी था बूँदों संग बरसात में ||

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21 JAN 2023 AT 11:50

आज भी ...

आज भी उन तंग गलियों से अक्सर आती है आवाज़े,
आज भी बुलाती है हवाएं,
आज भी ताक में खुलती है,
बंद मन की खिड़कियां और दरवाजें ।
आज भी मौसम की कसक है
आज भी ओस की दस्तक है,
जब-जब आँखे बंद होती है दिखती है तस्वीरें
आज भी उस मोड़पर रूक जाती है मेरी राहें,
आज भी उस छत से दूर तेरी बालकनी
कहती है बातें अनकही-अनसुनी,
आज भी मुस्कुराकर झूकती है नजरें
आज भी बेचैन रहता है दिल
जब-जब याद आती है तेरी आहटे ।।

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19 JAN 2023 AT 10:57

उम्र आधी थी इश्क की ...

वो सबक जवानी की
आज भी याद रह गया,
भूलने की बेशक थी कोशिश
जेहन में मगर ताजा रह गया ।
उम्र आधी थी और वक़्त मुझे आजमा गया,
मेरा इश्क आधा था, या अधूरा रह गया ।
एक वो शायद कोई अधूरी ख्याईश थी
या गम था और फुर्सत में पास रह गया ।
लौट गई वो अपने शहर,
मैं फिर भी शुक्रगुजार शहर का रह गया ।
बातें ये अनकही थी,
मगर शाम मेरा वो भर गया ।

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30 DEC 2022 AT 9:52

निकल पड़े है राहों में,
जाने इस जमाने फिर से मुलाकात हो,
और भी वजह है दिल बहलाने को
फिर से किसी सूरत कोई बात हो ...

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18 DEC 2022 AT 16:43

किसको खबर है ...

किसको खबर है ये उदासी कबतक इधर रहेगी
किसको खबर है गमों की बारिश कबतक बेधड़क बरसेगी,
हम तो ठहर गये है एक उम्र के पड़ाव पे
किसको खबर है ये मदहोशी कबतक जेहन में रहेगी
किसको खबर है चंद यादें उम्र भर आँखो में बसेगी,
हम तो मुसाफिर है कुछ खूबसूरत ख्याबों के,
हम तो मेहमां है खूबसूरत महफ़िलों के ।।

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19 OCT 2022 AT 0:22

तुम पलटकर देख तो लेती,
वो शाम मेरी भी तो आखिरी थी,
उस मोड़पर मैंने तो शहर छोड़ा था,
एक लम्हा एक दौर कभी जिया था,
एक पल तो मैं ठहरा था,
और यादों का एक पहरा था,
तुम सफर की हुई, एक सफर छोड़कर
और आखिरी उम्मीद भी टूटा उस मोड़पर ।।

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16 OCT 2022 AT 12:45

।। कुछ देर ।।

कुछ देर अगर मैं रूक भी जाऊं,
तो यादें ही बस ठहरती है,
बाकी सारी बातें वर्तमान की धूमिल होती जाती है,
कुछ देर पलकें मूंदकर सो भी जाऊं,
तो ख्याब डेरे डालती है,
फिर से सूनी सड़कों पे मुलाकातें नजर आती है,
कुछ देर बारिंशो में भींग मैं जाऊं,
तो बूंदे मन को टटोलती है,
बाकी सब कुछ पल में सूख जाता है,
बस थोड़ी देर पलकें भींगी रह जाती है,
कुछ देर पहाड़ो पे चलकर निगाहें अपनी कर जाऊं,
नीचे सबकुछ हरा-भरा दिखता है,
बस सूखी अपनी जमीं ही लगती है,
कुछ देर बाद जब लिखकर पढ़ तुम्हे मैं जाऊं,
कोरे कागज पर शिकायतें मालूम होती है,
अल्फाज़ों को फिर से हवा छूकर गुजरती है ।।

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15 OCT 2022 AT 8:39

सफर जारी है ।।

छत नहीं है, दहलीज नहीं है
गुजरूं मैं अब किस राह से,
हर एक मोड़ अजीब पहेली है,
ज़िन्दगी करीब आई और गुजरी है,
एक पल में सब बदल गया है
बाहर बारिशें है, आँखो में पानी है,
किसी का सफर तय हुआ,
मेरी कहानी अधूरी रह गई है,
वक्त नहीं है, खामोश नज़र खड़ी है
कहूं मैं किस लब्ज से,
धड़कनों में बेचैनी है,
फिर से दिल रोया है,
किस्मत फिर से रूठी है,
कोई लौट गया है अपनी मंजिल तक
सफर किसी का अब भी जारी है ।।

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10 OCT 2022 AT 8:28

तुम्हारी सादगी पर लाखो दिल हारे
क्या होगा जब तुम श्रृंगार में नज़र आओगी ।।

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