Pankaj Meshram   (पंक)
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Joined 2 July 2019


Joined 2 July 2019
23 SEP 2021 AT 1:38

ना समझ पाया कोई, ना कोई समझ पायेगा,,
एक सितारा कब काले आसमान में सिमट जाएगा।।

मुख्तसर सी दास्ताँ होगी सुनाने के लिए,
हर कोई अपने हिसाब से याद करके फ़लसफ़े सुनाएगा।।

आज रोशन है मेरी महफ़िल तो हर कोई शामिल है,,
वक़्त बदलने पर कोई चराग़ जलाने नहीं आएगा।।

फितरत ही इंसान की ऐसी है के किसी से क्या कहें,,
जिसकी जितनी हैसियत और नियत है, वो वहीं तक साथ निभाएगा।।

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23 SEP 2021 AT 1:36

ना समझ पाया कोई, ना कोई समझ पायेगा,,
एक सितारा कब काले आसमान में सिमट जाएगा।।

मुख्तसर सी दास्ताँ होगी सुनाने के लिए,
हर कोई अपने हिसाब से याद करके फ़लसफ़े सुनाएगा।।

आज रोशन है मेरी महफ़िल तो हर कोई शामिल है,,
वक़्त बदलने पर कोई चराग़ जलाने नहीं आएगा।।

फितरत ही इंसान की ऐसी है के किसी से क्या कहें,,
जिसकी जितनी हैसियत और नियत है, वो वहीं तक साथ निभाएगा।।

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5 AUG 2021 AT 3:12

आप कहते थे ना, तुम्हे अभी कुछ समझ नहीं आता,
अक्ल तब आएगी जब तुम खुद पिता बन जाओगे।।

अक्ल तो शायद आज भी नहीं है, लेकिन समझ बहुत कुछ आ गया है,
जानता नहीं था कि ना होकर भी पास, इतना कुछ सिखाओगे।।

घर की हर ज़रूरत पूरी करते रहे खुद के शौक भूल कर,
आज वो अधूरी लिस्ट मिली जिसमें लिखा था की एक दिन अकेले घूमने जाओगे।।

हर बात पे अब सोचने लगा हूँ आपकी तरह,
लगता है आप ही कभी मुझे आईने में नज़र आओगे।।

अंदर इतना प्यार छिपा के कैसे इतने सख़्त रहे हमेशा,
सोचा कभी भी नहीं था, कि कभी बता भी पाओगे।।

मुश्किलों के दौर कितने ही आये और गए,
मगर आप हमेशा मुझे रास्ता दिखाओगे।।

मेरी हर ज़िद पूरी करके कहते थे, आज ऐश कर लो,
दाल आटे का भाव पता चलेगा जब खुद कमाओगे।।

लोगो पर विश्वास करना सीखा गए मुझे,
लेकिन पता नहीं था, कि कभी छोड़ कर जाओगे।।

मेरा लिखा भी आपके बिना अधूरा ही रहेगा,

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1 AUG 2021 AT 13:19

दोस्ती का मतलब यही है,
कि इसमें कोई मतलब नहीं है।।

दोस्त कोई भी हो सकता है,
दोस्ती रिश्तों में हो सकती ,
दोस्ती अंजानो में हो सकती है,,
दोस्ती बिना नाप के पैमानों में हो सकती है।।

बचपन के दोस्त, लड़कपन के दोस्त,
कुछ जवानी के दोस्त, कुछ ढलती उम्र के दोस्त,
कुछ ऑनलाइन वाले दोस्त, कुछ गेमिंग वाले दोस्त,,
सबकी अपनी अलग ही बात है,
ये दोस्त हैं तो खुशनुमा दिन और रात हैं।।

मायूसी में सहारा देने वाले दोस्त, रोता देख हंसनेवाले दोस्त, बात बात पर ताना कसने वाले दोस्त, कुछ तो बिल्कुल दुश्मनों जैसे दोस्त,
कौन है जिसके दोस्त नहीं है,
आसपास देखो दोस्त हर कहीं हैं।।

कुछ हैं जो दूर हैं जो पास ही रहते हैं, कुछ पास हैं जो बहोत दूर चले गए हैं, कुछ जिनकी सिर्फ यादें बाकी हैं, वो नहीं हैं मगर उनकी बातें बाकी हैं।।

मेरे सभी दोस्तों को समर्पित
🙏🙏
पंक

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16 MAY 2021 AT 2:46

ये जो हालात हैं, कल गुज़र जाएंगे,
मगर कई लोग नज़र से उतर जाएंगे।।

उन्हें लगता हैं, मदद की नुमाईश राहे जन्नत है,
उनके जो गुनाह हैं, सब सुधर जाएंगे।।

ताउम्र जुटाते रहे वो सुकून के असबाब,
मुट्ठी खुलते ही सारे जवाहरात बिखर जाएंगे।।

फ़क़ीरों के महल चुपचाप बन गए,
कल वो नया नक़ाब पहन किधर जाएंगे।।

शब-ए-अमन की बस यही एक आस बाकी है,
ये जो हालात हैं, कल गुज़र जाएंगे।।

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15 MAY 2021 AT 19:35

मैं,
एक बेटे से शुरू होता हूँ,
एक पिता पे रुक जाता हूँ।।

मैं,
एक सूरज सा निकलता हूँ,
एक सूरज सा डूब जाता हूँ।।

मैं,
यूं तो खुली किताब सा हूँ,
फिर बन्द पन्नो में सिमट जाता हूँ।।

मैं,
लोगों से उम्मीद करता हूँ मुझे समझने की,
पता नहीं खुद को कितना समझ पाता हूँ।।

मैं,
दौड़ता हूँ रोज़ ज़िंदगी की अंधी दौड़,
जहाँ से शुरू किया अंत में खुद को वहीं पाता हूँ।।

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4 MAY 2021 AT 1:16

यादों का जो कारवाँ गुज़र गया हो,
उसे अलविदा कर मुस्कुराना ही बेहतर है।।

गमों में गुज़री रातें, सिरहाना नम कर गयीं हों,
सुबह तक उन रातों को भूल जाना ही बेहतर है।।

फासलें सुकून दें ना दें, मगर कभी-कभी ज़रूरी हो जातें हैं,
नज़दीकियां गर चैन छीन लें, तो दूर जाना ही बेहतर है।।

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19 APR 2021 AT 17:24

हाल-ए-दिल क्या बयाँ करें,
कुछ समझ में नहीं आता।।

इस मर्ज़ की दवा करें या दुआ करें,,
कुछ समझ में नहीं आता।।

मुख़्तसर सी ज़िंदगी से अब और कितनी वफ़ा करें,,
कुछ समझ में नहीं आता।।

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18 APR 2021 AT 21:53

तुम्हें कसम है, मैं रहूँ ना रहूँ तुम मुस्कुराओगी।।
तुम्हें कसम है, मुझसे ना सहीं खुद का साथ निभाओगी।।

तुम्हें कसम है, देखोगी नहीं पीछे मुड़कर कभी,,
तुम्हें कसम है, हमेशा मंज़िलों की ओर कदम बढाओगी।।

तुम्हें कसम है, हताशा में भी खुशियाँ ढूंढने की,,
तुम्हें कसम है, अपनी मुस्कान से नया गुलिस्ताँ बनाओगी।।

तुम्हें कसम है, के कभी हार भी गयी तो रुकोगी नहीं,,
तुम्हें कसम है, जीत में भी अहंकार नहीं लाओगी।।

तुम्हें कसम है।।

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17 APR 2021 AT 23:07

एक रात हर रोज़ आती है,
कभी ग़म, कभी खुशियों के तराने गाती है।।

एक रात हर रोज़ आती है,
कभी उदासियाँ, कभी नई सुबह की उम्मीद लाती है।।

एक रात हर रोज़ आती है,
किसी को बिछोह, किसी को मिलन के सपने दिखाती है।।

एक रात हर रोज़ आती है।।

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