मन का बोझ हटा दिया,
शब्दों को कागज़ पर रखकर
खुद को शायर बना दिया।
मुझ पर बीती मैं जानु, तुझ पर बीती तु जाने,
ना जाने तु मुझ पर बीती, ना मैं जानु तुझ पर बीती,
तु कह देना अपना हिस्सा फिर मैं कहूंगा अपना हिस्सा,
इसी तरह तो खत्म होगा ये दुखों का किस्सा।-
अमर इतिहास
मत छेड़ो उस इतिहास को,जो पुरखों ने बनाया था,
लहू बहा था बहोत सारा, तब चरखा चल पाया था।
भीख की आज़ादी न थी वो, पर हमने उनसे छीनी थी।
उसे पाने के लिए तो, लाखो की जान गई थी।
वो तो लातो-बातों का समन्वय था,जो अंग्रेजो से लड़ पाए थे,
वरना बिखरे हुए हम भारतवासी, कब निखर पाए थे?
एकजुट होकर ही तो आजादी हमने पाई थी,
बाकी भीख में तो गरीबी, लाचारी और भ्रष्टाचार जैसी कुरीतियां ही पाई थी।
छोड़ो उन बातो को अब, आगे बढ़ने की बात करो,
याद करके वीर जवानों को, न कोई फरियाद करो।
विकास की डगर पकड़ के आगे चलते जाना है,
इस भारतवर्ष की अमरगाथा को जन जन को सुनाना है।
विश्वगुरु है हम, ये सबको दिखलाना है,
भारतवर्ष की महानता का, डंका घर घर में बजाना है।-
The best Brand in the market is actually not the best one, but it is a perception created by that brand through Marketing.
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मुझे बहुत लोगों ने अच्छा और
बहुत लोगों ने बुरा कहा,
जिसकी जैसी जरुरत
उसने वैसा कहा।-
किनारे पर बैठकर नौका पार नहीं होती,
मेहनत करने वालों की कभी हार नही होती।-
बैठकर वक्त के भरोसे,
क्यों तू वक्त को बर्बाद करे?
कर मेहनत इतनी,
कि कामयाबी सिर्फ तुझे याद करे।-
कर बसर उसमें, जो मिला है तुझे,
करना कुछ ऐसा, कि दुआ मिले तुझे।
यू उम्मीद की सीढ़ियों से सिर्फ हार मिले तुझे,
कर मेहनत इतनी, कि सफलता बार-बार मिले तुझे।-
वतन पर मर मिटकर जब हम आजाद हुए,
तिरंगा लेकर चलते रहे तब हम आबाद हुए।-
झाड़ के अपने कपड़े फिर खड़ा हो जाता हूं,
सेल्स का बंदा हु साहब
नाकामियो से रोज लड़कर आता हूं,
झाड़ के अपने कपड़े फिर खड़ा हो जाता हूं।
ये मुश्किलें तो पहाड़ सी है
उन मुश्किलों को गोली पीला आता हूं,
झाड़ के अपने कपड़े फिर खड़ा हो जाता हूं।
हर रोज रात को गिनता हु,अपनी नाकामियों को,
फिर उनसे लड़ने का हर नुस्खा आजमाता हूं,
झाड़ के कपड़े अपने फिर खड़ा हु जाता हूं।
कई दफा उन्हें हराने के बाद,
खुद भी हार जाता हूं,
पर कहा ना,
सेल्स का बंदा हु साहब
झाड़ के कपड़े अपने फिर खड़ा हो जाता हूं।-