अब हाल-ए-दिल
किसी से कहता नहीं हूं,
कोई पढ़ता नहीं
इसलिए लिखता भी नहीं हूं,
कितना कुछ बयां करती हैं
खामोशियां मेरी,
कोई आकर इन्हें समझता नहीं है।
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जो एक बार फिसली तो फिर कहां लौटी उंगलियां,
इस कमबख्त मोबाइल ने हमसे किताबें छीन ली।।
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ख्वाहिशें उदार होती है समझौते स्वीकार कर लेती है,
जरूरतें ज़िद्दी होती है आसानी से हार नहीं मानती है।
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मेरे अनकहे शब्द मेरे विवेक पर भारी है,
मेरे भीतर ही भीतर मेरा संघर्ष जारी है।
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हमारे अतीत को अपने इमारतों के नीचे दबाए रखा।
झूठ दिखाया, झूठ बताया और सच छुपाए रखा।।
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इतनी रातें जागा था वो
सोचो.....
कितने ख्वाब पाले होंगे,
गुड़िया से कहता था जो
देखना एक दिन.....
हम भी शहर वाले होंगे।
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कभी भी, किसी को भी, अपनी रोशनी मंद मत करने देना। इस दुनिया को देने के लिए बहुत कुछ है तुम्हारे पास। जो तुम पर और तुम्हारी प्रतिभा पर शक कर रहे है। उन्हें नजरअंदाज करो, और जो तुम्हे प्रोत्साहित कर रहे है सिर्फ उन्हें देखो।
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सुनो! कोई तो बताओ ये क्या हो रहा है,
आखिर सितारा टूट कर कहां जा रहा है।
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