खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते हैंहंसती आँखों में भी जख्म गहरे होते हैंजिनसे अक्सर रूठ जाते हैं हम,असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते हैं… -
खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते हैंहंसती आँखों में भी जख्म गहरे होते हैंजिनसे अक्सर रूठ जाते हैं हम,असल में उनसे ही रिश्ते गहरे होते हैं…
-
उनका नाराज़गी रास नही आती, वो ना मुस्कराए तो चेन की सास नही आतीअगर उनकी प्यारी झलक दिख जाए तो ठीक, नही तो दिन क्या रात क्या ये बात समझ नही आती...!! -
उनका नाराज़गी रास नही आती, वो ना मुस्कराए तो चेन की सास नही आतीअगर उनकी प्यारी झलक दिख जाए तो ठीक, नही तो दिन क्या रात क्या ये बात समझ नही आती...!!
आती हैं जब याद उनकी, तो उनके यादों में हम खो जाते हैं,आजकल हम उन्हीं को सोचते सोचते सो जाते है..!! -
आती हैं जब याद उनकी, तो उनके यादों में हम खो जाते हैं,आजकल हम उन्हीं को सोचते सोचते सो जाते है..!!
कभी कभी वक़्त ऐसा भी होता है, सासे चल रही होती है, ओर वक़्त ठहरा होता हैं.. !! -
कभी कभी वक़्त ऐसा भी होता है, सासे चल रही होती है, ओर वक़्त ठहरा होता हैं.. !!
मुर्शिद, उन्होंने दर्द दिल पे कुछ इस तरह मरहम लगा दी.!! दर्द कम होनी थी ओर उन्होंने ओर बढ़ा दी.!! -
मुर्शिद, उन्होंने दर्द दिल पे कुछ इस तरह मरहम लगा दी.!! दर्द कम होनी थी ओर उन्होंने ओर बढ़ा दी.!!
मुरसद..!अगर तू कोई बाजी हार गया तो कोई दिकत नहीं,तुझे उसे भी कुछ सिख मिलेगी.!!बस एक बात ध्यान रख मेरे दोस्त ये कलयुग हैं ,अगर मेहनत करेगा तो सब कुछ मिलेगा,और मांगेगा तो सिर्फ भीख मिलेगी..!! -
मुरसद..!अगर तू कोई बाजी हार गया तो कोई दिकत नहीं,तुझे उसे भी कुछ सिख मिलेगी.!!बस एक बात ध्यान रख मेरे दोस्त ये कलयुग हैं ,अगर मेहनत करेगा तो सब कुछ मिलेगा,और मांगेगा तो सिर्फ भीख मिलेगी..!!
एक ही चेहरे की अहमियत… हर एक नजर में अलग सी क्यूँ है… उसी चेहरे पर कोई खफा… तो कोई फिदा सा क्यूँ है…~.राधे राधे..!!~ -
एक ही चेहरे की अहमियत… हर एक नजर में अलग सी क्यूँ है… उसी चेहरे पर कोई खफा… तो कोई फिदा सा क्यूँ है…~.राधे राधे..!!~
सुनता नहीं कोई, ओर दिल बेखबर जीद पे अड़ा है …हर आइना अब टुटा लगे है,सच भी हमे अब झूठा लगे है...जाने कहाँ हम आ गए हैं,सारा जहाँ हमे झूठा लगे हैं... -
सुनता नहीं कोई, ओर दिल बेखबर जीद पे अड़ा है …हर आइना अब टुटा लगे है,सच भी हमे अब झूठा लगे है...जाने कहाँ हम आ गए हैं,सारा जहाँ हमे झूठा लगे हैं...
हकीकत की तलाश में फिर निकला हूं, घर से.!मंजिल का कुछ पता नहीं पूछ लूंगा, सफर से..!! -
हकीकत की तलाश में फिर निकला हूं, घर से.!मंजिल का कुछ पता नहीं पूछ लूंगा, सफर से..!!
ये तू क्यो घबराता हैं मेरे दोस्त,इस वक्त की रुसवाई से,तू रख खुद पर हौसला इतना,कि तू विजयी हैं। वक़्त के हर लड़ाई में -
ये तू क्यो घबराता हैं मेरे दोस्त,इस वक्त की रुसवाई से,तू रख खुद पर हौसला इतना,कि तू विजयी हैं। वक़्त के हर लड़ाई में