Pankaj Kumar   (Pankaj kumar)
51 Followers · 39 Following

Teacher , Poet , follow me on insta _untold_memories , wtsp no - 7011339384
Joined 6 October 2019


Teacher , Poet , follow me on insta _untold_memories , wtsp no - 7011339384
Joined 6 October 2019
23 FEB 2022 AT 6:28

रंग जामुनी , कथाई या सुनहरा होता
ये इश्क़ था जनाब , ज़रा ओर गहरा होता

और मैं डूब जाता उस रात गहरे दरिया में
अगर मेरा इश्क़ ही दरिया होता !!

-


21 FEB 2022 AT 0:34

रंगो की रंगिनिया इस क़दर भागी मुझसे
पोशाक भी काले- उजाले मिलें !!

-


30 JAN 2022 AT 15:03

कचोटता हैं मन , बुलाती हैं वो गलियाँ
जहाँ मैं घुमता था नंगे पाव सारी दुनिया

वही अमरूद के पेड़ और उसकी छांव
जहाँ करते थे बातें बे सर-पाव

लालटेन की फुदकती रूह
और उसको जलाता बुझाता मेरी नन्ही उँगलियाँ

बारिश में टपकते हुए खप्पर
और छाते की वो नन्ही खिड़कियाँ

ठंडी हवाओं का थपेड़ा, और अलाव की चादर
पीपल पर भूतों का टीला और पास में शंकर का क़िला

और वो गुप्त स्थान जहाँ दोस्तों की होती थी मटरगस्तिया
खेलते कार्ड और खाते समोसे बे-हिसाब

वही आग़न जहाँ अनार होते थे
तुलसी के पौधा और बछिया से प्यार होते थे

उठूँगा एक सुबह उसी गाँव में
सोऊँगा ख़ामोशी के साथ उसी गाँव में
जहाँ मैं, मैं हुआ !!

-


30 JAN 2022 AT 9:14

मेरा इकतरफ़ा प्यार

मोहल्ले में यें चर्चायें थीं कीं मैं इश्क़ में हूँ
सच हैं , तुझे देख मैं मुस्काया करता था

जब भी तू होती मेरे रुबरू
साला , ये दिल बड़ी तेज़ दौड़ता था

किताबों में अक्सर तेरी तस्वीर होती
और हर पन्नो पे तेरा मेरा नाम संग में होता

जब हम गाँव की पगडंडी पे आमने -सामने मिलते
मैं तुझे देख झट से पानी भरे खेतों में उतर जाता था

ख़्वाबों में जब भी मैं तुझसे से मिलता माही
तुझे बाँहों में भर चुमा करता था

बात गाँव के मेले की शायद याद हो तुझे
झुलें पे झुलते हुए मैंने इजहारे इश्क़ का ख़त दिया था

अब तो गाँव से मेले उजड़ गये ,
और तुने भी किसी और से निबाह कर लीं

और ,मैं अब भी उसी मेले और झुले के इंतज़ार में हूँ
या शायद अपने इकतरफ़े प्यार में हूँ !!

-


29 JAN 2022 AT 23:37

तेरे दूर जाने के बहाने पुराने थे मगर,
मेरे आँखों से बरसें पानी सच्चे थे

-


27 JAN 2022 AT 20:04

गुलाबों का गुलदस्ता भेजा था उसको
उजले गुलाबों को अपने लहू से रंग कर

-


27 JAN 2022 AT 19:59

मुझे ख़्वाब आते क्यों नहीं
इसी सोच में रातें - जग कर गुज़ारी हमने

-


4 JUL 2021 AT 8:12

तू अनमोल हैं या बे-मोल हैं ‘पंकज’
तराज़ू पे बैठ तेरी क़ीमत लगाई जाये !

-


4 JUL 2021 AT 2:19

मैंने शराब पी , तो क्या शराबी कहोगे
ना तुम्हारे ग्लास से पी , ना तुम्हारे बाप की पी !

-


3 JUL 2021 AT 22:04

तुमसे कोई मिलता क्यों नहीं ‘पंकज’
दिल के दलदल से बाहर तो निकलो !

-


Fetching Pankaj Kumar Quotes