जंग हमारी आज भी जारी है
अब डॉलर($)से आज़ादी पानी है
सुनले टैरिफ़ के बड़बोले फ़रेबी राजा
हुकूमत जल्द रुपये(₹)की आने वाली है-
झूठों का दरबार लगा है
सच रूह में अटका पड़ा है
गिरवी रख दिया है ईमान
खुश करने में संसार लगा है-
आख़िरी दम तक जम कर लड़ेंगे
इतिहास रच के दुनिया को दिखा देंगे
पासा कभी भी पलट सकता है सिराज
हारी हुई बाज़ी जीत कर ही दम लेंगे-
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निजमनु मुकुरु सुधारि
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार-
गुजर गये पाँच दशक जमाना अब भी हमारा है
शकुंतला है मेरी और ये संतोष भी तुम्हारा है
साथ दिया इक दूज़े का भरोसा पुराना है
जब-जब विपदा आई हरि ने हमें उबारा है
रिश्ते-नाते दोस्त कर्मभूमि ये कोटा हमारा है
सब मिला यहीं लख-लख धन्यवाद तुम्हारा है
कंकड़ पत्थर भी लगे जग ने भी मारा है
ददावाड़ी से तलवंडी का सफ़र संघर्षों वाला है
मेहनत क़िस्मत श्रद्धा सबुरी यही हमारा नारा है
गाँठ बाँध लो बच्चों योगा ही बस सहारा है
सामंजस्य ही बस जीवन का आधार है
रिश्तों से जुड़े रहने का हमारा सरोकार है
कभी पतझड़ कभी सावन पंकज क्या ख़याल है
दोनों ऋतुओं का यही अलग-अलग अन्दाज़ है-
पहचान सिफ़ारिश हर वक़्त काम नहीं आते
कर्मों के फल ज़िंदगी में लौट कर हैं आते
दुआओं का असर यकीनन मिलता है पंकज
फ़रिश्ते जीवन में यूँ ही हाज़िर नहीं हो जाते-
तामझाम झमेला सब का सब धरा रह जायेगा
वक़्त मुक़र्रर है मौत से कौन जीत पायेगा-
भगोड़े चोर भी लाचारी जताते हैं
सरकारों, बैंको पे इल्ज़ाम लगाते हैं
कमजर्फ़ नामाकूल ग़द्दार हैं ऐसे बंदे
देश का नाम गर्त में डुबा देते हैं ये बंदे
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