गुजर गये पाँच दशक जमाना अब भी हमारा है
शकुंतला है मेरी और ये संतोष भी तुम्हारा है
साथ दिया इक दूज़े का भरोसा पुराना है
जब-जब विपदा आई हरि ने हमें उबारा है
रिश्ते-नाते दोस्त कर्मभूमि ये कोटा हमारा है
सब मिला यहीं लख-लख धन्यवाद तुम्हारा है
कंकड़ पत्थर भी लगे जग ने भी मारा है
ददावाड़ी से तलवंडी का सफ़र संघर्षों वाला है
मेहनत क़िस्मत श्रद्धा सबुरी यही हमारा नारा है
गाँठ बाँध लो बच्चों योगा ही बस सहारा है
सामंजस्य ही बस जीवन का आधार है
रिश्तों से जुड़े रहने का हमारा सरोकार है
कभी पतझड़ कभी सावन पंकज क्या ख़याल है
दोनों ऋतुओं का यही अलग-अलग अन्दाज़ है-
पहचान सिफ़ारिश हर वक़्त काम नहीं आते
कर्मों के फल ज़िंदगी में लौट कर हैं आते
दुआओं का असर यकीनन मिलता है पंकज
फ़रिश्ते जीवन में यूँ ही हाज़िर नहीं हो जाते-
तामझाम झमेला सब का सब धरा रह जायेगा
वक़्त मुक़र्रर है मौत से कौन जीत पायेगा-
भगोड़े चोर भी लाचारी जताते हैं
सरकारों, बैंको पे इल्ज़ाम लगाते हैं
कमजर्फ़ नामाकूल ग़द्दार हैं ऐसे बंदे
देश का नाम गर्त में डुबा देते हैं ये बंदे
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ज़िंदगी हार गई गर्दी का शिकार हो गई
जाना था दफ़्तर रूठ के ख़ुदा से मिल गई-
Talk of the town is organisation culture
Good governance suo motto creates culture
Words and actions if not resonates
Yeah it is a sign of landing in toxic culture
Culture flows from top to bottom
Leaders propagate healthy culture
Appreciation, motivation & empathy are not mere words
They are the booster of impactful culture
Managers may come and leave doesn’t matters
Salute to heroes who value human culture
Pankaj-
18 साल बाद आख़िरकार सूखा ख़त्म हो गया
बारिश हुई आँखों से 18 नंबरी जज़्बाती हो गया-
आज कुछ कहा कल बदल गया परसों भूल गया
ज़ुबा की कुछ अहमियत नहीं भरोसा कहाँ रह गया-
सफ़ेद कपड़ों में अब ना दिखेगा तू
वक़्त के साथ चीकू बदल गया है तू
रिकॉर्ड अब कुछ भी मायने नहीं रखते
वृंदावन के इश्क़ में राधे रंग गया है तू-