Pankaj Dinkar  
27 Followers · 45 Following

Joined 27 May 2020


Joined 27 May 2020
20 JUL 2023 AT 13:46

उलझनों मे गुज़रती हैं
आज भी मेरी रातें
के पहले
तू गयी थी
या फिर
तेरी यादें ll


-


24 JUN 2023 AT 18:20

शाम की सुहानी चाय
याद है तुम्हे ?
मुस्कुराये साथ मे
याद है तुम्हे ??
जी लिए थे सौ जनम
एक जाम मे
लड़खड़ाए साथ मे
याद है तुम्हे ?
गर अकेला हो गया तो
थामोगी मुझे
बात ये पुरानी है
याद है तुम्हे ???

-


18 JUN 2023 AT 12:48

खुशनसीब हूँ उनका बेटा हूँ ,
मेरे साथ हैं मेरे पापा .
धूप से डराती है दुनिया ,
ठंडी छाँव हैं मेरे पापा .
भागते भागते गिरता हूँ जब भी ,
दौड़कर उठाते हैं पापा ,
माँ तो रो लेती है जी भर कि ,
दर्द अपना छुपाते हैं पापा .
नित नये रंग दिखाती है दुनिया ,
धैर्य रखो बेटा , सिखाते हैं पापा .
खुशनसीब हूँ उनका बेटा हूँ ,
मेरे साथ हैं मेरे पापा ...

-


8 JUN 2023 AT 19:35

सभ्यता के इस दौर मे
सभी असभ्य
सभ्य होने का नाटक
कर रहे हैं
और मूक है
सभ्य समाज

-


19 MAR 2023 AT 20:57

Brothel brothel,
oh my my....
Come here come here,
Why shy shy...

Tryst trust,
And all the thirst...
Am I only,
Who is here to die....!!??

-


7 OCT 2022 AT 20:46

आज कुछ रोये हैं बादल ,
और कुछ रोये हैं हम,
बारिश कि भीगी बूंदें हैं ,
और कुछ खोये हैं हम ll
यूँ तो बादलों का कोई ,
ठिकाना नहीं होता .
रो लेते हैं बेचारे ,
किसीको बताना नहीं होता .
बिजली गिरती है कहीं और ,
और यहाँ जलते हैं हम .
आज कुछ रोये हैं बादल ,
और कुछ रोये हैं हम ..... lllll

-


24 SEP 2022 AT 20:26

कहत कबीर सुनो भाई साधो
जीवन बड़ा अलबेला रे
खेले अटखेलियां लाख ये
आवन जावन का मेला ये ll
बाल रूप मे यौवन भाये
और यौवन मे क्रीड़ा
क्रीड़ा कर जो मन थक जाए
फिर बाल रूप ही लेना चाहे ll
रोवन जो लागो तुम यहाँ
रूदन तक ललरी आए,
हास विहास करने वाले
भी कहाँ इससे बच पाए ll
कहत कबीर सुनो..................
जीवन बड़ा अलबेला रे......................

-


18 SEP 2022 AT 13:49


बड़े निष्ठुर पहरों के बाद ,
जाने कितने दुपहरों के बाद ,
मुश्किलों से बड़ी ,
मिली ये सौगात ,
एक अजीब सा सुकून ,
लायी है रात ...
रिस रिस के बीत जाएगी ये भी
रोते हस्ते गुज़र जाएगी ये भी .
सुबह को फिर से करके आबाद ,
एक अजीब सा सुकून ,
लायी है रात ...llll

-


15 SEP 2022 AT 22:24

सूने शहर सा दिल मेरा ,
इसे गाँव बनाना तुम ..
ईटों के मकान को ,
घर कर जाना तुम ..
डर लगता है अँधेरे से ,
आँखों से दीप जलाना तुम ..
मन के खाली आँगन मे ,
चिड़ियों सी चहचहाना
और सूरजमुखी मुस्कान से अपनी ,
खेतोँ मे लहलाहाना तुम ..
सूने शहर सा दिल मेरा ,
इसे गाँव बनाना तुम ........lllll

-


13 SEP 2022 AT 0:20

साज़ो सामान, हर एक पैगाम
भूली हुई यादें, तुम ले आना ll
ले आना हर वो लम्हा,
लम्हों मे फिर से,
तुम और मै, मै और तुम,
तुम ले आना ll
ला ना सको, गर ये सब,
तुम लौट के, फिर मत आना ll
साज़ो सामान, हर एक पैगाम,
भूली हुई यादें............... llll

-


Fetching Pankaj Dinkar Quotes