शाम की सुहानी चाय याद है तुम्हे ? मुस्कुराये साथ मे याद है तुम्हे ?? जी लिए थे सौ जनम एक जाम मे लड़खड़ाए साथ मे याद है तुम्हे ? गर अकेला हो गया तो थामोगी मुझे बात ये पुरानी है याद है तुम्हे ???
खुशनसीब हूँ उनका बेटा हूँ , मेरे साथ हैं मेरे पापा . धूप से डराती है दुनिया , ठंडी छाँव हैं मेरे पापा . भागते भागते गिरता हूँ जब भी , दौड़कर उठाते हैं पापा , माँ तो रो लेती है जी भर कि , दर्द अपना छुपाते हैं पापा . नित नये रंग दिखाती है दुनिया , धैर्य रखो बेटा , सिखाते हैं पापा . खुशनसीब हूँ उनका बेटा हूँ , मेरे साथ हैं मेरे पापा ...
आज कुछ रोये हैं बादल , और कुछ रोये हैं हम, बारिश कि भीगी बूंदें हैं , और कुछ खोये हैं हम ll यूँ तो बादलों का कोई , ठिकाना नहीं होता . रो लेते हैं बेचारे , किसीको बताना नहीं होता . बिजली गिरती है कहीं और , और यहाँ जलते हैं हम . आज कुछ रोये हैं बादल , और कुछ रोये हैं हम ..... lllll
कहत कबीर सुनो भाई साधो जीवन बड़ा अलबेला रे खेले अटखेलियां लाख ये आवन जावन का मेला ये ll बाल रूप मे यौवन भाये और यौवन मे क्रीड़ा क्रीड़ा कर जो मन थक जाए फिर बाल रूप ही लेना चाहे ll रोवन जो लागो तुम यहाँ रूदन तक ललरी आए, हास विहास करने वाले भी कहाँ इससे बच पाए ll कहत कबीर सुनो.................. जीवन बड़ा अलबेला रे......................
बड़े निष्ठुर पहरों के बाद , जाने कितने दुपहरों के बाद , मुश्किलों से बड़ी , मिली ये सौगात , एक अजीब सा सुकून , लायी है रात ... रिस रिस के बीत जाएगी ये भी रोते हस्ते गुज़र जाएगी ये भी . सुबह को फिर से करके आबाद , एक अजीब सा सुकून , लायी है रात ...llll
सूने शहर सा दिल मेरा , इसे गाँव बनाना तुम .. ईटों के मकान को , घर कर जाना तुम .. डर लगता है अँधेरे से , आँखों से दीप जलाना तुम .. मन के खाली आँगन मे , चिड़ियों सी चहचहाना और सूरजमुखी मुस्कान से अपनी , खेतोँ मे लहलाहाना तुम .. सूने शहर सा दिल मेरा , इसे गाँव बनाना तुम ........lllll
साज़ो सामान, हर एक पैगाम भूली हुई यादें, तुम ले आना ll ले आना हर वो लम्हा, लम्हों मे फिर से, तुम और मै, मै और तुम, तुम ले आना ll ला ना सको, गर ये सब, तुम लौट के, फिर मत आना ll साज़ो सामान, हर एक पैगाम, भूली हुई यादें............... llll