डूबा रहता हूँ सोच में इस कदर कुछ दिनों से,किस तरह बयाँ करू जज़्बात वो अपने,जो घर बनाये बैठे हे दिल में मेरे।। - P. S. Chawla✍
डूबा रहता हूँ सोच में इस कदर कुछ दिनों से,किस तरह बयाँ करू जज़्बात वो अपने,जो घर बनाये बैठे हे दिल में मेरे।।
- P. S. Chawla✍