आसमान से गिरतीं बूंदें और मिट्टी की महक तेरी खुशबू याद दिलाती है , ऐ पहली बारिश भी साहब कमाल का तड़पाती है। यह चलती शरद हवा और तुम्हारे उड़ते गेसू तुम्हारी जुल्फों के साऐ में उलझाती है, ऐ पहली बारिश भी साहब कमाल का तड़पाती है । यह पंछियों का कलरव और पाख के स्वर तेरी सांसों में उलझाती है, ऐ पहली बारिश भी साहब कमाल का तड़पाती है।।