Panch Sheela   (Sheela)
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Warm and artistic writer
Joined 30 September 2024


Warm and artistic writer
Joined 30 September 2024
10 HOURS AGO

सोचते है क्यों है किस की ख़ातिर हैं अब
ये जो ज़िन्दगी में मसले हैं अब
इश्क़ की आबरू ना संभाल पाए हम तो
क्या संभले हैं ग़र जो संभले हैं अब

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28 SEP AT 22:42

बहुत ख़ामोश है रात इश्क़ ए जुदाई में
अब कहाँ नींद आएगी इस तन्हाई में
सूकून ए ज़िदग़ी है तेरी बाँहों की कैद में
बेहद ग़म है जानम इस रिहाई में

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27 SEP AT 21:50

तेरे साथ रोज जीने के बहाने ढूंढते है
बाँहों में तेरी खुशियों के ठिकाने ढूंढते है
कहाँ जाए सूकून ढूंढने इस जमाने में
तेरी ही आगोश में हम सारे जमाने ढूंढते है

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25 SEP AT 21:25

क्या सच में रिश्तों की उम्र ख़त्म हो जाने पर
सब ख़त्म हो जाता है?उम्र ख़त्म हो जाने पर

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24 SEP AT 21:04

वो जो कहने से भी नहीं समझते हालत हमारी
वो क्या समझेंगें तन्हा तन्हाई हमारी
कैसे कटती है उनके इंतजार में सारी रात हमारी
ये हम जानते है या ये अंगड़ाई हमारी

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24 SEP AT 12:46

जब से मोहब्बत का मुझ को असर हो गया है
तब से जमाने का डर सारा बे असर हो गया है

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23 SEP AT 20:58

एक तो गुफ़्तगू उनकी कमाल की
उस पे उन के लबों की मुस्कुराहट
उन के प्रेम में पागल दिल मेरा और
उस पे कयामत साँसों की गर्माहट

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22 SEP AT 22:02

तुम ने दूरियों में सिखाया नज़दीकियाँ कैसी.होती.है
हम ने हर ग़म में जाना तेरे साथ खुशियाँ कैसी होती है
क्या हुआ जो ना मुकम्मल हुई एक अधूरी दास्तान
जो मोहब्बत में ना जले वो जाँ ज़िन्दगियाँ कैसी होती है

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22 SEP AT 11:48

ये खूबसूरत रुप ये रंग ये रुख़सार ये लब तेरे
ये मेरा जिस्म ये मेरी जान ये प्यार ये सब तेरे
फिर तुझे किस बात का ग़म है यार ये जब तेरे

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20 SEP AT 20:32

वैसे तो जानम मुझ में कोई बुरी आदत नहीं है
इक तेरी आदत के सिवा कोई और आदत नहीं है

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