सोचते है क्यों है किस की ख़ातिर हैं अब
ये जो ज़िन्दगी में मसले हैं अब
इश्क़ की आबरू ना संभाल पाए हम तो
क्या संभले हैं ग़र जो संभले हैं अब-
बहुत ख़ामोश है रात इश्क़ ए जुदाई में
अब कहाँ नींद आएगी इस तन्हाई में
सूकून ए ज़िदग़ी है तेरी बाँहों की कैद में
बेहद ग़म है जानम इस रिहाई में-
तेरे साथ रोज जीने के बहाने ढूंढते है
बाँहों में तेरी खुशियों के ठिकाने ढूंढते है
कहाँ जाए सूकून ढूंढने इस जमाने में
तेरी ही आगोश में हम सारे जमाने ढूंढते है-
क्या सच में रिश्तों की उम्र ख़त्म हो जाने पर
सब ख़त्म हो जाता है?उम्र ख़त्म हो जाने पर-
वो जो कहने से भी नहीं समझते हालत हमारी
वो क्या समझेंगें तन्हा तन्हाई हमारी
कैसे कटती है उनके इंतजार में सारी रात हमारी
ये हम जानते है या ये अंगड़ाई हमारी-
जब से मोहब्बत का मुझ को असर हो गया है
तब से जमाने का डर सारा बे असर हो गया है-
एक तो गुफ़्तगू उनकी कमाल की
उस पे उन के लबों की मुस्कुराहट
उन के प्रेम में पागल दिल मेरा और
उस पे कयामत साँसों की गर्माहट-
तुम ने दूरियों में सिखाया नज़दीकियाँ कैसी.होती.है
हम ने हर ग़म में जाना तेरे साथ खुशियाँ कैसी होती है
क्या हुआ जो ना मुकम्मल हुई एक अधूरी दास्तान
जो मोहब्बत में ना जले वो जाँ ज़िन्दगियाँ कैसी होती है-
ये खूबसूरत रुप ये रंग ये रुख़सार ये लब तेरे
ये मेरा जिस्म ये मेरी जान ये प्यार ये सब तेरे
फिर तुझे किस बात का ग़म है यार ये जब तेरे-
वैसे तो जानम मुझ में कोई बुरी आदत नहीं है
इक तेरी आदत के सिवा कोई और आदत नहीं है-