Pallavi Yadav   (Lavi)
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Joined 28 June 2020


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Joined 28 June 2020
1 MAY 2022 AT 12:40

गुजरते हुए राहों में
चुरा लेते हैं वो नजरें
पहचान लें एक नजर में उन्हें
इतने अफ्सुर्दा हम भी नहीं

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9 JAN 2022 AT 23:51

कैसे हो गया
बादल से चांद खफा
उगती सुवहों से सूर्य जुदा
कैसे हो गया

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5 JAN 2022 AT 9:25

तू भव्य है मेरे सपनों का
मैं काश्मरी तेरी आंखों की
तू भृंगराज सा विस्तृत है
मैं पृष्णपर्णी तेरे जीवन की
तू ऊंचा देवदारू सा है
मैं तुलसी हूं तेरे आंगन की
तू सुगन्धित कुछ एला सा है
मैं निर्गंध दूर्वा तेरी तुलना में
तू अहिफेन के मद सा है
पुलकित सरसों का नीर हूं मैं
तू टंकड़ है अमृत जैसा
मैं विष तुल्य वत्सनाभ सी हूं
तू सदापुष्पित बिल्व सा है
मैं अपुष्पित अंजीर सी हूं
तू अटल भी कपूर वृक्ष सा है
मैं लता हूं असहाय गुडुची सी

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3 AUG 2021 AT 17:42

I ' m rude bcoz you can't afford my courteous version.

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30 JUL 2021 AT 23:51

कोई आस नहीं है
हां नहीं है , मेरे पास कोई नहीं है
अकेले आये थे , अकेले जाना है
इसमें तो कोई नयी बात नहीं है

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19 JUL 2021 AT 10:14

ज़ख्मों का नमक बनकर
क्या करें जनाब !
स्याही अपनों के खिलाफ चलना नहीं चाहती

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3 MAY 2021 AT 10:59

Nowadays, i love you means i wanna use you in my own way .

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29 APR 2021 AT 15:39

ये रिश्ते झूठे हैं, एतमाद झूठे हैं
हां झूठे हैं मयखानों के जाम झूठे हैं
अपनी खुशियों पर दूसरों के घर बनाने वालो
यहां वफादारी के सारे आयाम झूठे हैं

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9 MAR 2021 AT 18:15

इन तोहमतों से अब दिल नहीं दुखता जनाब
कि चंद पानी की बूंदें भिगोया नहीं करती

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1 MAR 2021 AT 12:48

उदासी कम नहीं होती , जहां जीत लाने से
मर मिटे हैं कई होशियार यहां कुछ कर दिखाने में
जिंदगी एक सफर है खुद से खुद तक का ऐ मुसाफिर
कहो कभी उतरे हो किसी के दिल के आशियाने में

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