गुजरते हुए राहों में
चुरा लेते हैं वो नजरें
पहचान लें एक नजर में उन्हें
इतने अफ्सुर्दा हम भी नहीं-
Banaras Hindu University
# future doctor
You will feel what I write.
मुझे समझने के लिए... read more
कैसे हो गया
बादल से चांद खफा
उगती सुवहों से सूर्य जुदा
कैसे हो गया
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तू भव्य है मेरे सपनों का
मैं काश्मरी तेरी आंखों की
तू भृंगराज सा विस्तृत है
मैं पृष्णपर्णी तेरे जीवन की
तू ऊंचा देवदारू सा है
मैं तुलसी हूं तेरे आंगन की
तू सुगन्धित कुछ एला सा है
मैं निर्गंध दूर्वा तेरी तुलना में
तू अहिफेन के मद सा है
पुलकित सरसों का नीर हूं मैं
तू टंकड़ है अमृत जैसा
मैं विष तुल्य वत्सनाभ सी हूं
तू सदापुष्पित बिल्व सा है
मैं अपुष्पित अंजीर सी हूं
तू अटल भी कपूर वृक्ष सा है
मैं लता हूं असहाय गुडुची सी
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कोई आस नहीं है
हां नहीं है , मेरे पास कोई नहीं है
अकेले आये थे , अकेले जाना है
इसमें तो कोई नयी बात नहीं है-
ज़ख्मों का नमक बनकर
क्या करें जनाब !
स्याही अपनों के खिलाफ चलना नहीं चाहती-
ये रिश्ते झूठे हैं, एतमाद झूठे हैं
हां झूठे हैं मयखानों के जाम झूठे हैं
अपनी खुशियों पर दूसरों के घर बनाने वालो
यहां वफादारी के सारे आयाम झूठे हैं-
इन तोहमतों से अब दिल नहीं दुखता जनाब
कि चंद पानी की बूंदें भिगोया नहीं करती-
उदासी कम नहीं होती , जहां जीत लाने से
मर मिटे हैं कई होशियार यहां कुछ कर दिखाने में
जिंदगी एक सफर है खुद से खुद तक का ऐ मुसाफिर
कहो कभी उतरे हो किसी के दिल के आशियाने में-