Pallavi Vinod  
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एक जर्रा हूँ इश्क़ का
Joined 6 October 2017


एक जर्रा हूँ इश्क़ का
Joined 6 October 2017
4 MAR AT 22:28

एक आईना दिखाना!
जिसमें चेहरा
बहुत सुंदर लगे
ऐसा आईना
ढूँढने वाले लोग कहते हैं
हमें पढ़कर बताना

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24 APR 2023 AT 19:33

मेरी अकुलाहटों का नाम मत ढूँढना
ख़ुद को आईने के सामने खड़ा पाओगे

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5 MAR 2023 AT 11:01



जब तुम ख़ुद को जान जाते हो ना
किसी के जानने ना जानने से
फ़र्क़ नहीं पड़ता
ये फ़र्क़ नहीं पड़ता
किसने किससे क्या कहा
किसी का कुछ भी कहना
उसकी अपनी सोच है
जो तुम कुछ कर के भी नहीं बदल सकते

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12 JAN 2023 AT 10:49

अगर नारीवाद के संघर्ष में आप सिर्फ अपने हित के बारे में सोच रही हैं
तो ये संघर्ष सिर्फ दिखावा है।
नारीवाद की अवधारणा ही “शोषण से मुक्ति” पर आधारित है। अगर आपका विद्रोह या विरोध सिर्फ़ आपके लिए है तो ये स्वार्थ से अधिक कुछ भी नहीं है। अगर आप अपने साथ अपने परिवार और समाज की नारियों के लिए कुछ भी नहीं कर पा रही हैं तो आप परिवार की मुखिया बनी कुटिल सास के समान हैं जो पुरुष का इस्तेमाल कर घर की ही महिलाओं पर शासन करती हैं। नारीवाद का स्वरूप बहुत सुंदर और विस्तृत है। नारीवाद का परिहास करने वाले या तो जड़ बुद्धि होते हैं या आक्रामक प्रवृत्ति के होते हैं। असली नारीवादी समाज में समता का रोपण करते हैं। नारीवादी पुरुष हो या स्त्री कभी भी स्वकेंद्रित हो ही नहीं सकता है। क्योंकि नारीवाद का मूल ही शोषण का दमन तथा विषमता का उन्मूलन है।

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29 SEP 2022 AT 8:22

कविताओं ने बेटियों को ऐसे सम्भाला
जैसे सम्भालता है पिता अपनी नवजात कन्या
जैसे सुनती हैं बहनें बहनों की व्यथा
जैसे चूमती है माँ, बेटी की हथेलियाँ

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10 AUG 2022 AT 21:58

उसकी बातों पर बेइंतहा एतबार किया था
हाँ! ये सच है कि बेहद प्यार किया था

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10 AUG 2022 AT 21:53

“हम ख़ुद की ही मुहब्बत में फ़ना हो जाएँ
बेहतर है किसी सितमग़र के इश्क़ से”

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29 JUL 2022 AT 22:42

आप किसी को प्रेम दे सकते हैं
लेकिन बदले में प्रेम की उम्मीद करना बेवक़ूफ़ी है
ये दुनिया बस अपने दिमाग़ से चलती है
ये आपको उसी तरह देखेगी जैसा वो देखना चाहती है।

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27 JUL 2022 AT 0:45

आप हज़ार कोशिश कर लीजिए
किसी को बदल नहीं सकते
हर इंसान अपनी जुदा तबियत के साथ
आपके जीवन में आता है
किसी को सुधारने की कोशिश अगर
बार-बार नाकाम हो रही है तो
बेहतर है आप ख़ुद को बदल लें

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27 JUL 2022 AT 0:42

खुश रहने का दिखावा करना और खुश रहना दो अलग-अलग बातें हैं
और ख़ुशी की इससे बड़ी कोई वजह नहीं
कि आप की ख़ुशी में किसी के होंठ मुस्कुराएं
और दर्द में किसी की आँखें छलछला जाएँ
अगर आपने अपनी कोशिश से एकाध भी ऐसे रिश्ते कमा लिए हैं
तो आप वाकई खुशनसीब हैं।


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