अगर नारीवाद के संघर्ष में आप सिर्फ अपने हित के बारे में सोच रही हैं
तो ये संघर्ष सिर्फ दिखावा है।
नारीवाद की अवधारणा ही “शोषण से मुक्ति” पर आधारित है। अगर आपका विद्रोह या विरोध सिर्फ़ आपके लिए है तो ये स्वार्थ से अधिक कुछ भी नहीं है। अगर आप अपने साथ अपने परिवार और समाज की नारियों के लिए कुछ भी नहीं कर पा रही हैं तो आप परिवार की मुखिया बनी कुटिल सास के समान हैं जो पुरुष का इस्तेमाल कर घर की ही महिलाओं पर शासन करती हैं। नारीवाद का स्वरूप बहुत सुंदर और विस्तृत है। नारीवाद का परिहास करने वाले या तो जड़ बुद्धि होते हैं या आक्रामक प्रवृत्ति के होते हैं। असली नारीवादी समाज में समता का रोपण करते हैं। नारीवादी पुरुष हो या स्त्री कभी भी स्वकेंद्रित हो ही नहीं सकता है। क्योंकि नारीवाद का मूल ही शोषण का दमन तथा विषमता का उन्मूलन है।
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