तमाम इल्जाम लगाकर खुद को बेकसूर बताया है।
किसी ने आज फिर मोहब्बत पर सवाल उठाया है।
अपनी बद्ज़ुबानी से लोग कर देते हैं रिश्ते यहाँ खत्म।
पता है गलती मानकर किसी ने आज फिर से उसी गलती को दोहराया है।
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आज का ज्ञान।
इंसान अपने कर्मों से दूसरो की नज़रों में इज़्ज़त कमाता है,
और अपनी जुबान से गंवाता है।-
इश्क वो हो जिसमें ख्वाहिश वक्त की हो,
जिस्म की फर्माईश लिये तो हर शक्स बैठा है।-
पता है,
चालबाजी, धोखेबाजी और दगाबाज़ी।
उसके मासूम से चेहरे में मैनें रंग कई देखे हैं।-
पता है
ना शिकायत है किसी से ना किसी से मेरी अनबन है।
बस अब थोड़ा सा ज़िंदगी में अकेले चलने का मन है।।-
पता है, ज़िंदगी में बहुत कुच्छ बदल जाता है तब,
जब हम दूसरों के "जज़्बात" नहीं समझते,
और मौजूदा अपने हालात नहीं समझते।-
अच्छा सुनो पता है,
मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी गलती क्या है,
"तुम"
और मुझे नफरत है "तुमसे"
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सुनो ना पता है,
कुछ न रह सका जहाँ वहां वीरानियाँ रह गईं,
तुम चले गए तो क्या हुवा इस जहाँ में हमारी कहानियाँ तो रह गईं!!-
सुनो पता है,
जिसे आपकी आवाज़ न रोक सके उसे खामोशी से जाने दो..!!-