Pallavi Gupta   (@pallavigupta)
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Joined 25 May 2018


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Joined 25 May 2018
6 JUN 2022 AT 23:32

मैं सोच नाम के सागर से ,
बस बात बात में कहती हूं,
तू बिल्कुल मेरे जैसा है,
मैं बिल्कुल तेरे जैसी हूं,
तेरे भीतर प्रकोप का रस्ता है,
तुझमें प्रेम रस बस्ता है,
तू श्वेत रंग कुछ नीला है,
तू घना घोर चमकीला है,
तू करुणा सा तू शीतल सा,
तू श्वाच साफ तुलसी दल सा,
तुझमें अपार ब्रह्मा विष्णु,
तुझमें त्रिलोक का है डमरू,
कभी कोमल मां के आंचल सा,
कभी अमृत शुद्ध गंगा जल सा,
कभी खूब रचा तुझको मन ने,
कभी कष्ट घृणा भर के मन में,
तू चाह ले तो जग मेला है,
ना चाहे तो मनुज अकेला है।

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3 JUL 2021 AT 0:09

फिर आकर उसी मोड़ पर
खड़े हो जाते हैं,
बहुत याद आती हैं बेवकूफियां,
जब हम बड़े हो जाते हैं।

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27 JUN 2021 AT 0:13

देर रात को सबके सो जाने के बाद
जब सिर के नीचे तकिया
की जगह हाथ रख कर
पंखे की ओर देखते हुए
मन में कई से सवाल जवाब
चल रहे होते हैं
तब एक खयाल ये भी आता है
कि अब जिम्मेदारियां
उनके सिर से अपने सिर
लेने का समय आ गया है।

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18 JUN 2021 AT 22:04

रात में अब नींद की जगह अपने फ़र्ज़ याद करती हूं,
मैं अब सोती नहीं हूं , वो सारे दर्द याद करती हूं।

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16 JUN 2021 AT 10:53

इश्क़ - मुहब्बत को दिल से निकाल कर
हर रोज़ मेहनत किए जा रहे हैं
इसी इश्क़ - मुहब्बत के लिए।

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12 JUN 2021 AT 1:04

भूखे को खाने की,
नंगे को कपड़े की,
गरीब को दौलत की, और
अमीर को प्रेम की,
हमेशा लालसा और ईर्ष्या रहती है,
और जीवन के इस सत्य से तुम
मुकर तो नहीं सकते।

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9 JUN 2021 AT 19:20

फ़र्क तो हर बात से पड़ता है,
किसी के होने से भी,
और ना होने से भी,
कुछ पाने से भी,
कुछ खोने से भी,
बेइंतहां ख़ामोशी से भी,
बेवजह बातों से भी,
फ़र्क तो हर बात से पड़ता है,
पर ये फर्क हर किसी के
बर्ताव से नहीं पड़ता,
क्यूंकि हर शख़्स ख़ास
नहीं होता ।

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8 JUN 2021 AT 21:10

हो इससे भी खूबसूरत , किस कहानी की ये मजाल होगी,
मां की हर बात में एक दिन बेटी की ही मिसाल होगी।
यही सपना लिए कई नंगे पांव चली जा रही हैं,
रात के अंधेरे में जुग्नुओं से महल बना रही हैं।

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8 JUN 2021 AT 1:06

"It's all about listening to each one of them and saying nothing , because time speaks it all and much more louder than your high pitch."

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2 JUN 2021 AT 21:10

वक़्त वक़्त की बात है , ये वक़्त बड़ा सयाना होगा,
आज तुम्हारा है तो क्या, कल को हमारा होगा,
इसी वक़्त के नशे में कई चूर बैठे हैं,
ये वक़्त बेवफ़ा है और बुरे तो हम भी नहीं,
कल को ये दीवाना तो हमारा भी होगा।

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