Pallavi Dutt Sharma   (नफ़स)
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Joined 20 April 2018


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Joined 20 April 2018
20 JUL 2020 AT 14:05

तन पे धूप मल कर के,
यूं आया चाँद अम्बर पे।
कि उजली-उजली सी लगती हैं,
सब रातें अमावस की।।
पल्लवी दत्त शर्मा

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28 APR 2018 AT 18:26

मीडिया
राजनीति के कोठे पर बैठी
वो तवायफ़ है
जो हर रोज़ बिका करती है

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4 JUL 2020 AT 14:52

You will never be alone
If you are your first and last priority.

Pallavi Datt Sharma

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2 JUL 2020 AT 21:41

कि रंज-ओ-ग़म की स्याही से,
इश्क़ का अफ़साना लिखते हैं।
देख़ सितमगर मर-मर के हम,
जीने का बहाना लिखते हैं।।
ना सुकूं का कोई पल ही मिला,
ना इस मर्ज़ की कोई दवा मिली।
अब पीते हैं ज़हर तनहाई का,
ओ शब-ओ-सहर तेरी यादों में गुज़ारा करते हैं।।
देख़ सितमगर मर-मर के हम,
ये उम्र गुज़ारा करते हैं।।
पल्लवी दत्त शर्मा

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24 JUN 2020 AT 20:27

मन के उधड़े बखिये सीं दो,
और सीं दो कुछ,
फटे-पुराने रिश्तों को।
माँ अपने इस औज़ार से सीं दो,
मेरी यादों के बस्ते को।।

PALLAVI DATT SHARMA

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8 JUN 2020 AT 21:01

टूटती हर सांस को इक तेरी ही आस थी।
बुझते हुए चश्मों में सनम इक तेरी ही प्यास थी।।
उठने लगा जनाज़ा मेरा दर से मेरे।
कितने ही कांधे थे सहारे को मगर,
फिर भी जनाज़े को मेरे,
इक तेरे कांधे की ही तलाश थी।।
PALLAVI Datt SHARMA

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30 MAY 2020 AT 16:53

मैं गगन धरा का शफ़क़ क्षितिज़,
तुम दूर समंदर अधीर प्रिये।।

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10 MAY 2020 AT 14:23

हर्फ़ दर हर्फ़ सिमट रहा मेरी कलम का दायरा।
कि मुमकिन नहीं है "माँ" दासतां लिख पाना तेरी।।

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5 MAY 2020 AT 14:25

"वो जो रूठा है मेरा हमदम,
है सबब आवारगी मेरी।
कोई जाकर उसे कहदे,
नहीं पंछी मैं पिंजरों का।।"



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12 MAR 2020 AT 18:25

मैं सरस-सलिल गंगा मयी,
प्रयागराज तुम बन जाना।
तोहे ताकूँ इक टक जमुना सी,
और ताज महल तुम बन जाना।।
पल्लवी दत्त शर्मा

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