Pallavi Bhardwaj   (Pb82!)
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Joined 8 May 2020


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Joined 8 May 2020
16 MAR AT 11:24

फूलों का बग़ीच-अ है
तिरे आंखों में,
मैं जहां
खुद को भूल जात-अ हूं।।

तू इत्र सा
महक-अती है,
मैं तितली की तरह
तिरे इर्द-गिर्द रहत-अ हूं।।

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6 MAR AT 1:53

क्यूं प्रिये ?

मेरी जिंदगी के आंगन को बगीचा बना कर,
क्यूं ? दोस्ती के नाम पर मेरे दिल में घर बना लिया।।

पहली मुलाकात हमारी कुछ खास न थी ,
क्यूं ? बिछड़ कर आज आंसू बहा दिया ।।

तुम्हारे होने न होने से ज़रा सी भी तक्लीफ़ न थी ,
क्यूं ? तुमने आज जिंदगी जीना मुश्किल कर दिया ।।

परछाई बनकर हर परिस्थिति में साथ खड़े,
क्यूं ? इस भीड़ में मुझे अकेला छोड़ दिया ।।

मोहब्बत से हारा हुआ तुमने मुझे खिलौना समझ बैठा,
क्यूं ? तोड़ कर जोड़ा, जोड़ कर फिर तोड़ दिया।।

-pb82!

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2 MAR AT 10:46

जब मौत से गले लगाना चाहा
सहम जाता हूं ये सोचकर
क्या होगा ज़िन्दगी को विराम देकर ?
अपने चाहने वाले बहुत रोयेंगे
मौत से पहले मैं स्वयं रो पडूंगा ।।

दरख़्वास्त करता हूं अपने आंखों से
सच्ची मोहब्बत आखिर करता कौन है !
आंसू बहाने वाला ये होता कौन है !
अक्सर खिड़की बन्द रखता हूं
मोहब्बत-ऐ- शिकस्त लोगों से छुपाना चाहता हूं ।।

न कल चाहता हूं न आज न किसी की मोहब्बत में गिरफ्तारी ,
जहां सिर्फ जल्दी बड़े होकर मनमर्ज़ी करने की ख़्वाहिश थी,
मोहब्बत से हारा हुआ,आज अपना बचपन फिर चाहता हूं
छत पर बैठे उसके लिए खत लिखता
वो सड़कें वो छत वो मौसम वो किताबें मोहब्बत की वो सब गवाह है,
अब बस ! खिड़की बन्द कर अपने अकेलेपन के साथ मर जाना चाहता हूं।।

लगता है कि अब आत्मप्रेरणा की जरूरत है
खिड़की खोल कर बैठ जाता हूं
बाहर रोशनी बहुत है, सारा तमस तो मेरे अन्तर्मन का है
मेरे हृदय को स्पर्श करने वाला मौत है या मोहब्बत
क्यूं न एक बार फिर जी कर देखता हूं ।।

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29 FEB AT 11:33

क्यों होती है ऐसी मोहब्बत
जिनसे मिलना मुमकिन नहीं।।

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25 FEB AT 19:58

Who is my caretaker?
My soulmate is forest.

Whenever I disappointed,
I put my head on the lap of forest .

In my dark loneliness
I feel peace by the tree wings of forest.

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7 FEB AT 10:02

सुना हैं! ख़ुदा सारी ग़लती माफ़ करता है,
मैंने तुम्हें अपना ख़ुदा माना था।।

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7 FEB AT 9:48

खूब रोया करते हैं याद कर तुम्हें
तुम्हारी मोहब्बत नज़र आती है मुझे
आइने पर देख बे-जान चेहरे अपने।।

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3 FEB AT 21:31

बहुत मुश्किल है
खुद को ये यकीन दिलाना
मेरी जिंदगी में आकर
चले भी गए।।

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27 JAN AT 22:09

इश्क वकालत करना सीख जाता है ‌‌,
खुद ही मुजरिम' खुद ही गवाह होता हैं ॥

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13 JAN AT 22:06

ग़म और खुशी बैठा करते हैं समुन्दर के किनारे।
कि कहीं इश्क़ मलाल न करें उन्हें।।

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